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कोठारी आयोग /Kothari Commission

कोठारी आयोग

Kothari Commission

कोठारी आयोग – स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से ही भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने के लिए भारत सरकार द्वारा समय समय पर अलग अलग आयोगों का गठन किया जाता जाता रहा है

इसी क्रम में भारतीय शिक्षा की गुणवता को जांचने और उसे उच्च बनाने हेतु कोठारी आयोग का गठन किया गया


कोठारी आयोग का निर्माण
Construction of Kothari Commission

कोठारी आयोग का निर्माण 14 ,जुलाई 1964 को डॉ० डी ० एस० कोठारी की अध्यक्षता में 17 सदस्यों के साथ किया गया।

इन्ही के नाम पर इस आयोग का नाम कोठारी आयोग रखा गया
कोठारी आयोग को राष्ट्रीय शिक्षा आयोग National Education Commission,1964 के नाम से भी जाना जाता है ।


कोठारी आयोग के उद्देश्य
Objectives of Kothari Commission

कोठारी आयोग के निर्माण के निम्नलिखित उद्देश्य थे

>भारतीय शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता में सुधार के लिए शोध करना और उसमें सुधार के लिए भारत सरकार को उचित सुझाव प्रदान करना।

>भारत में शिक्षा नीति के निर्माण के लिए सरकार को आवश्यक सुझाव प्रदान करना,जिससे भारतीय शिक्षा के स्तर को विश्व के बड़े देशो की शिक्षा के स्तर के अनुरूप बनाया जा सकें।

>भारतीय शिक्षा की कमियों को उजागर करना, एवं उन कमियों के कारणों का पता लगाकर उसकी सूचना भारत सरकार के सम्मुख प्रस्तुत करना।

>भारतीय शिक्षा को हर प्रान्त में समान रूप से लागू करने के लिए एवं शिक्षा स्तर को समान बनाने हेतु सुझाव प्रस्तुत करना,भारतीय शिक्षा प्रणाली में एकरूपता लाना।


 आयोग के सुझाव
Kothari Commission’s suggestions

कोठारी आयोग ने निर्माण के बाद अलग अलग माध्यमों से भारतीय शिक्षा का सर्वेक्षण किया और इन सर्वेक्षणों के आधार पर भारत सरकार के सामने निम्न प्रकार के सुझाओं को रखा

1-शिक्षा की संरचना से संबंधित सुझाव

इन सुझाओं के अंतर्गत
पूर्व प्राथमिक शिक्षा – 1 से 3 वर्ष तक।
निम्न प्राथमिक शिक्षा- 4 से 5 वर्ष तक।
उच्च प्राथमिक शिक्षा – 4 वर्ष की अवधि तक।
माध्यमिक शिक्षा – 2 वर्ष
उच्चतर माध्यमिक शिक्षा – 2 वर्ष तक।
स्नातक शिक्षा – 3 वर्ष तक।
परास्नातक शिक्षा – 2-3 वर्ष तक।
अनुसंधान शिक्षा – 2 या 3 वर्ष।

आदि सुझाओं को सरकार के समक्ष पेश किया और सरकार को कहा गया कि प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा 10 वर्ष की होनी चाहिए। उच्चतर माध्यमिक शिक्षा 2 वर्ष ओर व्यावसायिक शिक्षा 3 वर्ष की होनी चाहिए


प्रशासन से संबंधित सुझाव
Administration related suggestions

प्रशसन से संबंधित सुझाव निम्न है

1.शिक्षा प्रशासन और शिक्षकों में प्रमोशन या ट्रांसफर संबंधित कार्यो की व्यवस्था करना।

2.शिक्षा को राष्ट्रीय महत्व देते हुए ही शिक्षा नीति का निर्माण किया जाए।

3.शिक्षा से जुड़े जिम्मेदाराना पदों में योग्य एवं अनुभवी व्यक्तियों को ही नियुक्त किया जाए

4.उन अध्यापकों को नियुक्त करना जिन्हें शिक्षण कार्य का अनुभव हो

5.केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड CABE को ओर अधिक अधिकार प्रदान किये जायें।


वित्त से संबंधित सुझाव
Tips related to finance

राज्य सरकारों अपनी आय का ज्यादा हिस्सा शिक्षा में निवेश करना चाहिए।

शिक्षा को व्यावसायिक स्तर का बनाया जाय जिससे राजकोष में बड़ोतरी की जा सके

केंद्र सरकार को भी अपनी आय का कम -से-कम 6% हिस्सा शिक्षा के क्षेत्र में निवेश करना चाहिए।

ग्राम पंचायतों को भी वित्तीय निवेश करने के लिए बाध्य किया जाना चाहिए जिसके द्वारा ग्रामीण क्षेत्रो में भी शिक्षा के स्तर को सुधारा जा सकें।

नगरपालिकाओं को भी शिक्षा के लिए वित्त की व्यवस्था करनी चाहिये।


कोठारी आयोग के मूल्यांकन से संबंधित सुझाव
Suggestions related to evaluation of Kothari Commission

प्राथमिक स्तर पर आंतरिक मूल्यांकन की व्यवस्था करनी चाहिये।

वस्तुनिष्ठ परीक्षाओ का आयोजन किया जाना चाहिए जिससे दिए गए नम्बर वेध एव विश्वशनीय हो सके।

कक्षा 10 के अंत मे एक सार्वजनिक परीक्षा का आयोजन माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की देख रेख में सम्पन्न करायी जानी चाहिए।

बोर्ड़ की परीक्षाओं में अंक देने की जगह ग्रेड प्रणाली अपनायी जानी चाहिए।

माध्यमिक स्तर पर मौखिक परीक्षाओ को भी प्रोत्साहन देना चाहिए।


विश्वविद्यालय से संबंधित सुझाव
University related suggestions

भारत के सभी विश्वविद्यालयों को’अन्तविश्यविद्यालय’परिषद का सदस्य बनाना चाहिए।

विश्वविद्यालय अनुदान अयोग (U.G.C) university grand commission के 1/3 सदस्य विश्वविद्यालयो के प्रतिनिधि होने चाहिए।

केंद्र में और संस्थाओ की स्थापना की जाए ।

उच्च अध्ययन केंद्रों को अधिक से अधिक आर्थिक सहायता प्रदान की जानी चाहिए।

नवीन विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु U.G.C की अनुमति लेना अनिवार्य हो।
आवश्यकता होने पर ही विश्वविद्यालययो की स्थापना की जाए।

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