चमोली जिला ( Chamoli Jila )
Chamoli District
चमोली जिला ( Chamoli Jila )
निर्माण – 24 फरवरी 1960
चमोली जिले (chamoli jila ) का गठन,
24 फरवरी 1960 पौड़ी जिले से अलग करके किया गया था
मुख्यालय – गोपेश्वर
चमोली जिले (chamoli jila) का मुख्यालय गोपेश्वर में है,
जुलाई 1970 में अलकनंदा नदी में एक भयानक बाढ़ आने के कारण चमोली को काफी नुकसान हुआ था।
जिस वजह से चमोली से मुख्यालय को गोपेश्वर स्थानांतरित कर दिया गया तभी से वर्तमान तक चमोली जनपद का मुख्यालय गोपेश्वर में है
गोपेश्वर का प्राचीन समय में गोपाला ,गोठला या गोस्थल के नाम से भी जाना जाता था।
चमोली का इतिहास
- प्राचीन समय में चमोली को लाल सांगा के नाम से जाना जाता था।
- चमोली के पास स्थित बद्रीनाथ के पास में गंधमादन पर्वत को कश्यप ऋषि की कर्मभूमि माना जाता है।
- पुराणों के अनुसार यह मान्यता है ,
कि बद्रीनाथ के पास स्थित व्यास गुफा में ही वेदव्यास जी के द्वारा महाभारत की रचना की गई थी।चमोली जिले के गोपेश्वर मैं स्थित रूद्र शिव मंदिर मैं छठी शताब्दी के नाग राजाओं से संबंधित त्रिशूल लेख मिले हैं।गोपेश्वर में ही स्थित गोपेश्वर मंदिर को विदिशा के नागवंशी राजा गणपति नाथ ने हिमाद्रि शैली में बनवाया था इस का प्राचीन नाम रूद्र महालय था। - चमोली जिले में ही चांदपुर गढ़ से गढ़वाल के परमार वंश की नींव पड़ी।
- चमोली जिले में स्थित जोशीमठ के पास ही कार्तिकेपुर नमक स्थान है,
जो की कत्यूरियों राजधानी थी।
चमोली जिले (chamoli jila )की भौगोलिक स्थिति
अक्षांशीय रूप से चमोली जिला 29 डिग्री 55 मिनट उत्तरी अक्षांश से 31 डिग्री 21 मिनट उत्तरी अक्षांश में स्थित है।
तथा चमोली जिले का देशांतरीय विस्तार 78 डिग्री 59 मिनट पूर्वी से 80 डिग्री 21 मिनट पूर्वी तक है।
चमोली जिला ( chamoli jila ) उत्तराखंड राज्य के 6 जिलों के साथ सीमा बनाता है ,
इसकी पूर्वी सीमा पिथौरागढ़ के साथ,
पश्चिमी सीमा रुद्रप्रयाग के साथ,
दक्षिणी सीमा अल्मोड़ा के साथ.
दक्षिण पश्चिमी सीमा पौड़ी गढ़वाल के साथ,
उत्तर-पश्चिमी सीमा उत्तरकाशी के साथ तथा दक्षिण पूर्वी सीमा बागेश्वर के साथ लगती है।
इसके साथ ही चमोली जिले (chamoli jila ) तिब्बत (चीन) के साथ अंतरष्ट्रीय सीमा भी बनाता है।
चमोली जिला राज्य का दुसरा सबसे अधिक ज़िलों के साथ सीमा बनाने वाला जिला है।
क्षेत्रफल–
7625 वर्ग किलोमीटर
क्षेत्रफल की दृष्टि से चमोली जिला ( chamoli jila ) उत्तराखंड राज्य का सबसे बड़ा जिला है, इस जिले की सर्वाधिक भूमि ऊसर भूमि है,
चमोली राज्य का प्रतिशत की दृष्टि से सबसे कम सिंचित क्षेत्रफल वाला जिला है,
चमोली जिले (chamoli jila ) की प्रशासनिक व्यवस्था
कुल जनसंख्या – 3,91,605
दशकीय वृद्धि दर -5.74%
जन घनत्व -49
लिंगानुपात -1019
साक्षरता दर -82.65%
पुरुष साक्षरता दर -93.40%
महिला साक्षरता दर -72.32%
कुल विधानसभा क्षेत्र – 3
बद्रीनाथ
कर्णप्रयाग
थराली (यह विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है)
तहसील – 12
जिलासू , घाट, पोखरी , थराली
गैरसैण , कर्णप्रयाग, जोशीमठ, नारायणबगड़
नंदप्रयाग, आदिबद्री, देवाल, चमोली।
विकास खंड – 8
देवाल, नारायणबगड़, दसौली, घाट
जोशीमठ, गैरसैण, थराली, कर्णप्रयाग।
चमोली जिले के प्रमुख दर्रे
पिथौरागढ़ और चमोली जिलों को जोड़ने वाले दर्रे
बाराहोती दर्रा (Barahoti Pass)
मरच्योग दर्रा (Marchyog Pass)
लातुधुरा दर्रा (Latudhura Pass)
बागेश्वर और चमोली जिलों को जोड़ने वाला दर्रा
सुंदरढुंगा दर्रा (SunderDhunga Pass)
उत्तरकाशी’ और चमोली जोड़ने वाले दर्रे
कालिंदी दर्रा (Kalindi Pass)
चमोली और तिब्बत को जोड़ने वाले प्रमुख दर्रे
लमलंग दर्रा (Lamlang Pass)
माणा दर्रा (Mana pass)
नीति दर्रा (Neeti Pass)
किंगरी-बिंगरी दर्रा (Qingri-Bingri Pass)
शलशला दर्रा (Shalashala pass)
डुंगरी ला दर्रा (Dungri La Pass)
बालचा दर्रा (Balacha pass)
घाटरलिया दर्रा (Ghatralia Pass)_
चोरहोती दर्रा (Chorhoti Pass)
कोई दर्रा (Koi Pass)
म्युंडार दर्रा (Mundar Pass)
तंजुम दर्रा (Tanjum Pass)
उत्तराखंड राज्य के अन्य दर्रों के बारे में जाने,
उत्तराखंड के प्रमुख दर्रे Uttrakhand ke pramukh Darre : Hindlogy
चमोली जिले के प्रमुख बुग्याल ,
बेदनी बुग्याल ( Bedni Bugyal )
(रुपकुण्ड मार्ग पर, चमोली जिले में )
Note – बेदनी बुग्याल चमोली जिले में स्थित उत्तराखंड राज्य का सबसे बड़ा बुग्याल है
इस बुग्याल को वेदों की रचना का स्थल माना जाता है मखमली घास के लिए यह बुग्याल प्रसिद्ध है
फूलों की घाटी (Valley of Flowers)
(जोशीमठ – बद्रीनाथ मार्ग पर चमोली जिले में )
Note – फूलों की घाटी की खोज सन 1931 में एक ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक सिडनी स्माइथ ने की थी,
फ्रैंक ने अपने साथी गोल्ड वर्क की सहायता से फूलों की 250 किस्मों का पता लगाकर,
1947 में अपनी पुस्तक फूलों की घाटी को प्रकाशित किया था।वर्ष 2005 में , फूलों की घाटी को विश्व धरोहर में शामिल किया गया।
ओली Oli
(जोशीमठ के पास, चमोली जिले में )
Note – औली उत्तराखंड के चमोली जिले में जोशीमठ से 15 किलोमीटर की दूरी पर शीतकालीन खेलों ,स्कीइंग आदि के लिए प्रसिद्ध क्षेत्र है
चमोली जिले का अन्य बुग्याल,
- रुद्रनाथ (Rudranath )
(गोपेश्वर के ऊपरी तरफ, चमोली जिले में ) - नन्दकानन (Nandakanan)
(फूलों की घाटी के ऊपर, चमोली जिले में ) - रताकोण बुग्याल (Ratakon Bugyal)
- मनणी बुग्याल (Manani Bugyal)
- चोमासी बुग्याल (Chomasi Bugyal)
- कल्पनाथ बुग्याल (Kalpnath Bugyal)
- बेदशीला समुद्र बुग्याल (Bedsheela samudra Bugyal)
- पन्नार बुग्याल (Pannar Bugyal)
- पुंग बुग्याल (Pung Bugyal)
- दुणया बुग्याल (Dunya Bugyal)
- संतोपंथ बुग्याल (Santopanth Bugyal)
(माणा गांव के उत्तर में , चमोली जिले में ) - दूधा तोली बुग्याल (Dudha Toli Bugyal)
(चमोली व पौड़ी के बीच ) - अवनी खर्क बुग्याल (Avni Khark Bugyal)
(थराली के ऊपर, चमोली जिले में ) - आली बुग्याल (Aali Bugyal)
(बेदनी के पास, चमोली जिले में ) - गुरसो बुग्याल (Gurso Bugyal)
(औली के पास, चमोली जिले में ) - कैला बुग्याल (Kaila Bugyal)
(बद्रीनाथ के पास, चमोली जिले में ) - क्वारी बुग्याल (Quari Bugyal)
(गोरसों बुग्याल के पास, चमोली जिले में ) - बागची बुग्याल (Bagchi Bugyal)
(बागेश्वर–चमोली मार्ग में ) - रुपकुण्ड बुग्याल (Rupkund Bugya)
(वेदनी मार्ग पर, चमोली जिले में ) - लक्ष्मीवन बुग्याल (Laxmivan Bugyal)
- जलीसेरा बुग्याल (Jalisera Bugyal)
- घसतौली बुग्याल (Ghastauli Bugyal)
- पाण्डुसेरा बुग्याल (Pandusera Bugyal)
- पातर नौचेणिया बुग्याल (Patar Nauchniya Bugyal)
(रूपकुण्ड मार्ग पर, चमोली जिले में ) - मनपे बुग्याल (Manpe Bugyal)
- हुण्या बुग्याल (Hunya Bugyal)
- धामण सैंण बुग्याल (Dhaman Sain Bugyal)
- अन्वाल लेडी बुग्याल (Anwal Lady Bugyal )
- सुंठग बुग्याल (Suthang Bugyal )
- डागा रर्व बुग्याल (Daga Rerv Bugyal )
- उत्तराखंड राज्य के अन्य बुग्यालों के बारे में जाने,
Uttarakhand ke pramukh bugyal – उत्तराखंड के प्रमुख बुग्याल Hindlogy
चमोली जिले के प्रमुख ग्लेशियर व हिमनद
- सतोपंथ व भागीरथी ग्लेशियर (Satopanth and Bhagirathi Glacier)
सतोपंथ व भागीरथी ग्लेशियर 13 -18 किमी क्षेत्र में फैले हैं।
ये दोनों ग्लेशियर बदरीनाथ से 17 किमी की दूरी पर स्थित हैं।
सतोपंथ ग्लेशियर से अलकनंदा नदी का उद्गम होता है। - बद्रीनाथ ग्लेशियर (Badrinath Glacier)
यह ग्लेशियर 12 Km क्षेत्र में फैला है। - दूनागिरी ग्लेशियर (Dunagiri Glacier)
- हिपराबमक ग्लेशियर (Hiprabamac Glacier)
उत्तराखंड राज्य के प्रमुख ग्लेशियरों के बारे में जाने,
Uttarakhand ke pramukh bugyal – उत्तराखंड के प्रमुख बुग्याल Hindlogy
चमोली जिले के प्रमुख पर्वत
संतोपथ पर्वत
चौखम्भा पर्वत (7138 मीटर)
नीलकण्ठ पर्वत
ब्लांकु पर्वत
बद्रीनाथ पर्वत
सरस्वती पर्वत
कामेट पर्वत (7756)- राज्य की दूसरी सबसे ऊंची चोटी कामेट है
माणा पर्वत (7273)
नर पर्वत
हाथी पर्वत
दूनागिरी पर्वत
कलंका पर्वत
नन्दा देवी पर्वत (7816) – राज्य की सबसे ऊंची चोटी नंदा देवी है
त्रिशूल पर्वत (7123)
नन्दघुटी पर्वत
गन्धमादन पर्वत
नारायण पर्वत
देवस्थान पर्वत
गौरी पर्वत
गुन्नी पर्वत – चमोली और पिथौरागढ़ के बीच में है
नंदा कोट पर्वत – चमोली और पिथौरागढ़ के बीच में
स्लीपिंग लेडी पर्वत – जोशीमठ में है
जानिए उत्तराखंड राज्य के प्रमुख पर्वतों के बारे में ,
Uttarakhand ka Bhugol : उत्तराखंड का भूगोल ( Geography of Uttarakhand )
चमोली जिले ( chamoli jila ) के प्रमुख स्थल
प्रसिद्द पंचकेदारों में से दो केदार चमोली जिले में ही स्थित है ,
ये दो केदार हैं –
- कल्पेश्वरनाथ
- रुद्रनाथ
पँचबद्री भी चमोली जिले में स्थित है
इन पांचो बद्री के नाम हैं –
- बद्रीनाथ
- योगध्यान बद्री
- बृहद बद्री
- भविष्य बद्री
- आदि बद्री
इन पांचों बद्रियों में से सबसे उत्तर में बद्रीनाथ,
और सबसे दक्षिण में आदि बद्री स्थित है
बद्रीनाथ
चमोली जिले में स्थित बद्रीनाथ की समुद्र सतह से ऊंचाई 3140 मीटर है।
बद्रीनाथ अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है।
भारत देश के चार धामों में से एक धाम बद्रीनाथ है,
बद्रीनाथ के अलावा भारत के अन्य धाम है
द्वारिका (पश्चिम गुजरात में),
जगन्नाथ पुरी (पूर्व में ओड़िशा),
रामेश्वरम (दक्षिण में तमिलनाडु )
बद्रीनाथ का यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है,भगवान विष्णु की यह मूर्ति काले रंग की है, विष्णु की यह मूर्ति नारदकुंड में रहने से काली हो गयी थी ।
शंकराचार्य के द्वारा इस मूर्ती को नारदकुंड से ले जाकर मन्दिर में स्थापित किया गया था।
बद्रीनाथ मन्दिर के पुजारियों को रावल कहा जाता है ,ये पुजारी मुख्यतः दक्षिण भारतीय होते है और शंकराचर्य के वंशज होते हैं।
बद्रीनाथ नर (अर्जुन) और नारायण (विष्णु) को समर्पित है
पौराणिक रूप से बद्रीनाथ का बहुत महत्व है ,
महाभारत और पुराणों में इसे अलग अलग नामों से जाना गया है
ये पौराणिक नाम हैं –
योगसिद्ध, मुक्तिप्रदा, बद्रिकाश्रम, बद्रीवन, विशालाक्ष, नर – नारायण।
बद्रीनाथ मन्दिर में स्थापित भगवान विष्णु की मूर्ति शाली ग्राम पत्थर से निर्मित है , जिसकी ऊंचाई लगभग एक मीटर है
प्रसिद्ध पँचशिला बद्रीनाथ के पास ही स्थित है,
ये पँचशिला हैं –
गरुड़ शिला , नारद शिला, मार्कण्डेय शिला, ब्रह्मकपाल शिला, नरसिंह शिला।
पँचधारा भी बद्रीनाथ के समीप है –
जिनके नाम क्रमशः-
कुरमुधारा ,
उर्वशी धारा
इंदु धारा
भृगु धारा
प्रह्लाद धारा है।
इसके अलावा स्कंद गुफा, राम गुफा औऱ गरुड़शिला गुफा भी बद्रीनाथ के समीप स्थित है।
बद्रीनाथ में अलकनन्दा नदी के पास ही तप्तकुंड है जहां पर स्थित ब्रह्मकपाली में पितरों का पिंडदान किया जाता है।
योगध्यान बद्री
Yogdhyan badri
यह स्थान समुद्र तल से 1680 मीटर की ऊंचाई पर पांडुकेश्वर के समीप स्थित है।
पंडकेश्वर स्थान के बारे में यह मान्यता है,
कि यहां पर पांडवों का जन्म हुआ था यहीं पर प्रसिद्ध “पांडव शिला” भी मौजूद है।
योगध्यान बद्री में ही बद्रीनाथ के चतुर्मुखी रूप की शीतकाल में पूजा की जाती है, शीतकाल के समय पर बद्रीनाथ की चतुर्मुखी मूर्ति को यहीं पर लाकर स्थापित किया जाता है।
वृहदबद्री
vrahad badri
वृहदबद्री चमोली जिले में जोशीमठ के समीप स्थित है इसे पहली बद्री भी बोला जाता है क्यूंकि शंकराचार्य के द्वारा सबसे पहले भगवान विष्णु की मूर्ति यहीं पर स्थापित की गई थी।
भविष्य बद्री
bhavishya badri
भविष्य बद्री चमोली जिले के जोशीमठ नीति मार्ग पर स्थित है।
यहाँ पर में भगवान विष्णु के आधे स्वरूप की पूजा होती है।
मान्यता है की,
आने वाले समय में जब कलयुग (हिन्दू धर्म के चार युगों में से एक ) का प्रभाव बढ़ जायेगा तब भगवान् विष्णु की यह मूर्ती का स्वररूप पूरा हो जायेगा और यही पर बद्रीनाथ की पूजा होगी।
आदि बद्री
Adi Badri
चमोली जिले के कर्ण प्रयाग से 20 से 25 किलोमीटर की दूरी पर आदिबद्री स्थित है।
स्थानीय भाषा में आदिबद्री को “नौठा” भी बोला जाता है।
आदि बद्री सभी पाँचों बद्रीओं में सबसे दक्षिण में और सबसे कम ऊंचाई पर स्थित है ,भगवान विष्णु के प्रथम बार दर्शन भी यहीं पर होते हैं।
पंच प्रयाग में से तीन प्रयाग चमोली जिले में ही स्थित हैं ,
ये तीन प्रयाग हैं –
- विष्णुप्रयाग
- नंदप्रयाग
- कर्णप्रयाग
विष्णुप्रयाग
विष्णुप्रयाग अलकनंदा नदी और पश्चिमी धौलीगंगा जिसे विष्णु गंगा भी कहा जाता है ,के संगम पर स्थित है
जोशीमठ विष्णुप्रयाग के पास स्थित है, इसके पास ही जय – विजय नाम के पर्वत भी है।
यह प्रयाग आवास रहित और सबसे दुर्गम प्रयाग है
विष्णु प्रयाग से ही सूक्ष्म बद्रीनाथ आरंभ हो जाता है
नंदप्रयाग
नंदप्रयाग अलकनंदा और मंदाकिनी नदी के संगम पर स्थित है।
यहाँ से स्थूल बद्री नाथ प्रारंभ हो जाता है।
कर्णप्रयाग
कर्णप्रयाग अलकनंदा और पिंडारी नदी के संगम पर स्थित है
गैरसैण
गैरसैण चमोली जिले में स्थित उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी है।
सैंण का शाब्दिक अर्थ ” प्लेन इलाका “ होता है।
गैरसैण को उत्तराखंड की राजधानी बनाने से संबंधित समिति कौशिक समिति के द्वारा,
इसे उत्तराखंड की राजधानी स्थाई राजधानी बनाने की सिफारिश की गई थी।
कौशिक समिति के नाम से रमाशंकर कौशिक समिति की स्थापना 1993 – 94 में हुई थी।
4 मार्च 2020 को गैरसैण को उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा की गई।
8 जून 2020 को राज्यपाल की स्वीकृति के बाद इसे उत्तराखंड राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी बना दिया गया।
गैरसैण चाय बागानों हेतु प्रसिद्ध है ।
जोशीमठ
जोशीमठ चमोली जिले में स्थित एक रमणीक स्थान है, इसकी स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य के द्वारा की गई थी।
इस का प्राचीन नाम योषि था।
इस स्थान को आदि गुरु शंकराचार्य की तपस्या स्थली के रूप में भी जाना जाता है
भगवान विष्णु की शीतकाल में पूजा यहीं पर होती है ,यहां पर स्थित नरसिंह मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा करी जाती है।
मान्यता है,
कि भगवान विष्णु शरद ऋतु में यहां पर विश्राम करने आते हैं।
जोशीमठ में आदि गुरु शंकराचार्य के द्वारा पूर्णागिरि “शक्ति पीठ” की भी स्थापना की गई थी ।
जोशीमठ के पास ही प्रसिद्ध तपोवन स्थित है, जो गर्म स्रोतों के लिए प्रसिद्ध है।
हेमकुंड साहिब
Hemkund Sahib
प्रसिद्ध हेमकुंड साहिब चमोली जिले में स्थित है।
हेमकुंड साहिब सात पर्वतों से घिरा हुआ है, इन सातों पर्वतों को संयुक्त रूप से “हेमकुंड पर्वत” कहा जाता है।
इस स्थान की समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 4530 मीटर है।
इसे हेमकुंड साहिब नाम से एक गुरुद्वारे के रूप में मान्यता क्या और पहचान 1930 में मिली।
इससे पहले यह स्थान लोकपाल या पुष्कर तीर्थनी कहलाता था और हिंदू पर्यटक स्थल के रूप में जाना जाता था।
औली
Auli
चमोली जिले के ऊंचाई के स्थानों पर बसा औली स्कीइंग प्रशिक्षण और शीतकालीन खेलों के लिए विश्व प्रसिद्ध क्षेत्र है।
मुख्य तौर पर इस क्षेत्र को साहसिक खेलों के लिए जाना जाता है।
जोशीमठ से औली तक रोप – वे की शुरुआत 1993 में की गई थी।
1983 में पर्वतीय साहसिक खेलों की शुरुआत औली में की गई थी
माणा
Mana
चमोली जिले में स्थित माणा गांव उत्तराखंड में भारत का अंतिम गांव है।
माणा गांव अलकनंदा और सरस्वती नदी के संगम पर स्थित है ,इस संगम को केशव प्रयाग भी कहा जाता है।
पुराणों में माणा गांव को मणिभद्र पुरी के नाम से भी जाना जाता था।
सरस्वती नदी पर बना पाषाण पुल जिसे भीमपुल भी बोला जाता है , यहीं पर है।
घंटाकर्ण मंदिर और बद्रीनाथ की माता की मूर्ति भी यहीं पर है।
माणा गांव मारछा जनजाति का ग्रीष्मकालीन आवास है।
चमोली जिले ( chamoli jila ) के प्रमुख ताल
रूपकुंड ताल
इसे रहस्यमई ताल और नर – कंकाल ताल भी कहा जाता है
लोकपाल ताल
हेमकुंड के पास स्थित है
सतोपंथ सत्य पथ ताल
इस ताल का आकार त्रिकोण है
विरही ताल या गौना झील
इस ताल से विरही गंगा का उद्गम होता है
बेनी ताल
यह ताल आदिबद्री के पास स्थित है
बेनी ताल
यह ताल आदिबद्री के पास स्थित है
विष्णु ताल
यह ताल बद्रीनाथ के पास है
लिंगा ताल व आँचरीताल
यह ताल फूलों की घाटी के पास है।
सुखताल
यह ताल चमोली जिले के घाट के पास है।
झल ताल
सुखताल के पास
काकभुशुण्डि ताल जोशीमठ के पास हाथीपर्वत इसी के पास है
गोहना ताल
यह ताल गोपेश्वर के पूर्व में स्थित है –
1895 मैं इस झील का निर्माण हुआ और 1970 में यह झील टूट गयी
इसके अलावा चमोली जिले में होमकुंड ताल, गुडयार ताल, सिद्धताल आदि अन्य तालें भी है।