Bageshwar jila
बागेश्वर जिला
बागेश्वर जिला ( Bageshwar jila )
निर्माण व इतिहास
Nirman aur Itihas
बागेश्वर जिला – स्थापना – 18 सितंबर 1997
शुरुआत में बागेश्वर जिला ( Bageshwar jila ) अल्मोड़ा ( Almora jila ) जिले के अंतर्गत एक तहसील (Tehsil ) था।
बागेश्वर जिले का मुख्य नगर बागेश्वर है ( Bageshwar ) ,जो गोमती ( Gomati ) और सरयू ( Saryu ) नदी के संगम पर स्थित है।
बागेश्वर (Bageshwar) का पौराणिक महत्व
भगवान शिव इस स्थान पर व्याघ्र के रूप में निवास करते थे जिस वजह से इसका नाम व्याघ्रेश्वर ( Vyaghreshwar) पड़ा।
मानस खंड में नीलगिरी पर्वत ( Nilgiri parvat ) को ही बागेश्वर ( Bageshwar) या व्याघ्रेश्वर कहा गया है।
मानस खंड ( Manaskhand ) में इस बात का वर्णन है, की नीलगिरी पर्वत ( Nilgiri parvat गोमती और सरयू नदी के मध्य स्थित था।
मत्स्य पुराण ( Matasya Puran ) में भी इस स्थान पर नील पर्वत का वर्णन मिलता है
मानस खंड ( Manaskhand ) में कहा गया है, की चंडी नाम के एक शिवगढ़ ने भगवान शिव और माता पार्वती के लिए एक महाक्षेत्र का निर्माण किया।
इस स्थान पर जब भगवान शिव और माता पार्वती आये तो बाणेश्वर नाम से शिव की पूजा उनके गणों द्वारा की गई
इसी वाणीश्वर ( Vanishwar ) को बाद में वागीश , बागेश्वर ( Bageshwar ) , बागनाथ ( Bagnath ) के नाम से जाना गया।
गोमती नदी के लिए गंगा तथा सरयू के लिए यमुना शब्द का प्रयोग मानसखण्ड में किया गया है।
इसी वजह से इन नदियों के संगम स्थल को प्रयागराज की तर्ज पर तीर्थराज प्रयाग भी कहा जाता है और यही कारण है कि इसे “उत्तर का वाराणसी “( Uttar ka varanasi ) भी कहा जाता है।
मानसखण्ड में ही बागेश्वर को अग्नितीर्थ भी कहा गया है।
भगवान शिव के कारण इस क्षेत्र को तीर्थराज भी कहा जाता है।
नीलगिरी पर्वत को व्याघ्रेश्वर या बागेश्वर मानस खंड में कहा गया है।
बागेश्वर जिले ( Bageshwar jila ) की भौगोलिक स्थिति :-
भौगोलिक रूप से बागेश्वर ( Bageshwar ) 3 जिलों से घिरा है
पूर्व में पिथौरागढ़
पश्चिम में चमोली
दक्षिण में अल्मोड़ा
इसके अलावा उत्तर में बागेश्वर जिले को पिथौरागढ़ ( Pithauragad )और चमोली (Chamoli ) जिला पूर्ण रूप से घेरे हुए हैं
बागेश्वर जिला (Bageshwar jila) पूर्ण रूप से उत्तराखंड (uttrakhand) राज्य का आंतरिक जिला है, जिसकी सीमा किसी भी बाहरी प्रदेश या फिर देश के साथ नहीं लगती
बागेश्वर जनपद ( Bageshwar janpad ) के पश्चिम में नीलेश्वर पर्वत पूर्व में बिलेश्वर पर्वत स्थित है
इसके अलावा उत्तर में सूरजकुंड ( Suraj Kund )और दक्षिण में अग्नि कुंड ( Agni Kund ) स्थित है
बागेश्वर जिले की प्रमुख नदिया
Bageshwar jile ki pramukh nadiya :-
कोसी ( Kosi )
कोसी नदी बागेश्वर जिले में कौसानी ( Kausani ) के पास धारपानिधार से निकलती है।
पुराणों में कोसी नदी को कौशिकी ( Kaushiki ) कहा गया है।
कुमाऊं क्षेत्र में बहते हुए कोसी नदी कोसी नदी घाटी ( Kosi Nadi Ghati ) का निर्माण करती है ,
इस घाटी धान का उत्पादन बहुतायत में होता है इसलिए इस घाटी को ” धान का कटोरा ” ( Dhan ka Katora ) भी कहा जाता है।
सुमालिगाड , उलावगाड , और देवगाड कोसी नदी की सहायक नदियां है
कोसी नदी बागेश्वर ( Bageshwar ) के बाद अल्मोड़ा (Almora) , नैनीताल (Nainital) और उधमसिंहनगर (Udhamsingh Nagar) से होते हुए सुल्तानपुर के पास राज्य से बाहर निकल जाती है और उत्तरप्रदेश (Uttra pradesh) के चमरोल में रामगंगा से मिल जाती है
सरयू नदी ( Saryu Nadi )
सरयू नदी बागेश्वर (Bageshwar) के सरमूल झुडी स्थान से निकलती है।
मानसखण्ड में सरयू नदी (Saryu Nadi) को गंगा नदी कहा गया है।
सरयू नदी (Saryu Nadi) को कुमाऊं (Kuamau) की सबसे पवित्र नदी माना जाता है।
सरयू नदी का स्थानीय नाम सरजू है काली नदी (Kali Nadi) में सबसे अधिक जलराशि सरयू नदी ही गिराती है।
गोमती नदी ( Gomati Nadi )
गोमती नदी (Gomati Nadi) सरयू नदी की सहायक नदी है।
मानसखण्ड में गोमती नदी को यमुना नदी ( Yamuna Nadi ) कहा गया है।
बागेश्वर का बैजनाथ तीर्थ गोमती नदी के तट पर स्थित है।
गोमती नदी का उद्गम स्थल डेबरा श्रेणी (Debra kshreni) है।
बागेश्वर मैं सरयू और गोमती नदी का संगम होता है।
सरयू नदी का पनार नदी के साथ संगम काकड़ीघाट मैं होता है।
सरयू का पूर्वी रामगंगा (Ramganga) के साथ संगम पिथौरागढ़ में होता है जहाँ पर रामेश्वर तीर्थ स्थित है।
चम्पावत (Champawat) के पंचेश्वर (Pancheshwar) में सरयू नदी काली नदी से मिल जाती है।
बागेश्वर जिले के प्रमुख ग्लेशियर
Bageshwar jile ke pramukh glacier
पिंडारी ग्लेशियर Pindari Glacier
पिण्डारी ग्लेशियर (Pindari Glacier) राज्य का दूसरा सबसे बड़ा ग्लेशियर है।
30 किमी लम्बा यह ग्लेशियर प्रमुख रूप से बागेश्वर (Bageshwar) और चमोली (Chamoli) जिलो में फैला है,जबकि कुछ भाग पिथौरागढ़ (Pithauragad) जिले में भी स्थित है।
इस ग्लेशियर के पास भोजपत्र के व्रक्ष भी देखने को मिलते है।
उत्तराखण्ड (Uttrakhand) का राज्य पुष्प ब्रह्मकमल (BrahamKamal) भी यहां पर पाया जाता है।
पिण्डारी ग्लेशियर (Pindari Glacier) से ही पिंडर नदी (Pinder Nadi) का उद्गम होता है, पिंडर नदी कर्णप्रयाग (Karnprayag) में अलकनंदा (Alaknanda) से मिल जाती है।
कफनी ग्लेशियर Kafani Glacier
कफनी ग्लेशियर (Kafani Glacier) बागेस्वर (Bageshwar) जिले में अवस्थित है
यह ग्लेशियर पिण्डारी ग्लेशियर (Pindari Glacier) के पश्चिम में पड़ता है
पिण्डारी ग्लेशियर (Pindari Glacier) की घाति में दो अन्य ग्लेशियर सुखराम ग्लेशियर (Sukhram Glacier) और मैकतोली ग्लेशियर (Maiktoli Glacier) पड़ते है।
इसके अलावा बागेश्वर में सुन्दरढूंगा ग्लेशियर (SunderDunga Glacier) भी स्थित है।
सुन्दरढूंगा के पास ही देवीकुंड (Devikund) नाम का ठंडे पानी का कुंड है।
ग्लेशियर के अलावा सुकुण्डा ताल (sukunda tal) बागेश्वर में है।
हाथछीना जलाशय (Hathcheena Glacier)भी बागेश्वर मैं है।
बागेश्वर जिले कुछ प्रमुख दर्रे भी हैं
सुंदरढूंगा दर्रा – ये दर्रा बागेश्वर चमोली जोड़ता है।
ट्रेलपास दर्रा – ये दर्रा बागेश्वर को पिथौरागढ़ से जोड़ता है ,इसकी खोज 1830 में हुई थी।
बागेश्वर जिले की प्रशासनिक व्यवस्था
Bageshwar jile ki prashasnik vyavastha
बागेश्वर जिले में तहसीलों की संख्या – 6
1- गरुड़ (Grarud)
2 -कपकोट (kapkot)
3 -कांडा (kanda)
4 -कफलिगैर (Kafligair)
5 -दुगनाकुरी (Dugnakuri)
6 -बागेश्वर (Bageshwar)
बागेश्वर जिले के विकास खंडों की संख्या -3
1 -बागेश्वर (Bageshwar)
2 -कपकोट (kapkot)
3 -गरुड़ (Graud)
बागेश्वर जिले के विधानसभा क्षेत्र -2
1 -बागेश्वर (अनुसूचित जनजाति sc के लिए आरक्षित) (Bageshwar)
2 -कपकोट (Kapkot)
बागेश्वर (Bageshwar) का कुल क्षेत्रफल 2246 वर्ग किमी
क्षेत्रफल की दृष्टि से बागेश्वर राज्य का तीसरा सबसे कम क्षेत्रफल वाला जिला है
यह राज्य का सबसे कम नगरीय आबादी वाला जिला है
बागेश्वर जिले की साक्षरता – 80.01%
बागेश्वर जिले का जनसंख्या घनत्व -116
यह राज्य का चौथा सबसे कम जनसंख्या घनत्व वाला जिला है
बागेश्वर जिले का लिंगानुपात 1090
यह राज्य के उन जिलों में शामिल है जिनका लिंगानुपात अधिक है लिंगानुपात की दृष्टि से बागेश्वर चौथा सर्वाधिक लिंगानुपात वाला जिला है
बागेश्वर जिले के प्रमुख मंदिर
Bageshwar jile ke pramukh mandir
बागनाथ मंदिर
Bagnath mandir
बागेश्वर जिले के बागेश्वर (Bageshwar) में स्थित बागनाथ मंदिर (Bagnath mandir) शिव के प्राचीन मंदिरों में से एक है
बागनाथ मंदिर (Bagnath mandir) उत्तर भारत का एकमात्र दक्षिण मुखी (Dakshin mukhi ) प्राचीन शिव मंदिर है
बागनाथ मंदिर (Bagnath mandir) बागेश्वर में सरयू और गोमती नदी के संगम पर स्थित है
9 वीं शताब्दी में कचोरी राजा भूदेव (Bhu-Dev) के प्रस्तर शिलालेख में इस मंदिर के निर्माण की जानकारी प्राप्त होती है
बाद में लक्ष्मीचंद (Lakshmi chand) के द्वारा इसका पुनर्निर्माण 1602 में करवाया गया
हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार बाबा मारकंडे यहां पर शिव की पूजा किया करते थे जिससे भगवान शिव यहां पर बाघ के रूप में उनको दर्शन देने के लिए इस स्थान पर आए।
बैजनाथ मंदिर
Baijnath mandir
बागेश्वर (Bageshwar jila)) के गरुड़ (Graud) तहसील में बैजनाथ मंदिर (Baijnath mandir) स्थित है।
यह मंदिर गोमती (Gomati) और गरुड़ गंगा (Garud Ganga) के संगम पर स्थित है।
बैजनाथ छोटे छोटे मंदिरों का समूह है।
इन छोटे-छोटे मंदिर समूह में प्रमुख मंदिर बैजनाथ या वैद्यनाथ (चिकित्सकों के भगवान ) के रूप में भगवान शिव का है।
हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार गोमती और गरूड़गंगा के संगम पर भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था।
इन मंदिर समूह में भगवान शिव के मुख्य मंदिर के अलावा 17 सहायक मंदिर भी हैं
बैजनाथ मंदिर वास्तव में सूर्य ,ब्रह्मा ,शिव ,गणेश, पार्वती, चंद्रिका, कुबेर के मंदिरों का एक परिसर है।
कत्यूरी और चंद्र शासकों के द्वारा अलग-अलग समय पर इस मंदिर समूह का जीर्णोद्धार करवाया गया था
बैजनाथ क्षेत्र बहुत लंबे समय तक कत्यूरी शासकों की राजधानी भी रहा है।
बैजनाथ मंदिर का निर्माण नागर शैली में किया गया है।
Note- नागर शैली –सर्वप्रथम नगर में निर्माण होने के कारण इसे नागर शैली कहा जाता है। यह मंदिर निर्माण की शैली है, जिसे 8वीं से 13वीं शताब्दी के बीच उत्तर भारत में मौजूद शासक वंशों ने पर्याप्त संरक्षण दिया। यह शैली हिमालय से लेकर विंध्य पर्वत तक के क्षेत्रों में प्रचलित थी। नागर शैली के मंदिर आधार से शिखर तक चतुष्कोणीय होते हैं।
तौलीहाट मंदिर समूह बैजनाथ मंदिर समूह के पास ही स्थित है
चंडिका मन्दिर
Chandika mandir
देवी चंडिका को यह मंदिर समर्पित है हर साल नवरात्रि के दौरान यहां पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है और देवी की पूजा करती है
गौरी उड़्यार
Gauri Udyar
यहां एक गुफा है जिसमें भगवान शिव की मूर्तियां है
इन प्रमुख मंदिर के अलावा बागेश्वर में कुछ अन्य मंदिर भी हैं जिनके नाम क्रमशः
- श्री हरि मंदिर (Sri Hari Temple)
- रामघाट मंदिर (Ramghat Temple)
- अग्निकुंड मंदिर (Agnikund Temple)
- रामजी मंदिर (Ramji Temple)
- लोकनाथ आश्रम (Loknath ashram)
- नीलेश्वर महादेव (Nileshwar Mahadev)
- अमित जी का आश्रम (Amit ji’s ashram)
- कुकुडा माई मंदिर (Kukuda Mai Temple)
- ज्वालादेवी मंदिर (Jwaladevi Temple)
- सितलादेवी मंदिर (Sitladevi Temple)
- वेणीमाधव मंदिर (Venimadhav Temple)
- त्रिजुगीनारायण मंदिर (Trijuginarayan Temple)
- राधाकृष्णा मंदिर (Radhakrishna Temple)
- हनुमान मंदिर (Hanuman Temple)
- भीलेश्वर धाम (Bhileshwar dham)
- सूरजकुंड (Surajkund)
- स्वर्गाश्रम (Swargashram)
- सिद्धार्थ धाम (Siddharth Dham)
- गोपेश्वर धाम (Gopeshwar Dham)
- गोलू मंदिर (Golu Temple)
- प्रकतेश्वर महादेव (Prakateshwar Mahadev)
बागेश्वर जिले के प्रमुख स्थल
Bageshwar jila ke pramukh sthal
कौसानी (Kausani)
कौसानी (Kausani) पिंगनाथ पहाड़ी पर स्थित एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है।
गोमती और गरुड़ नदी के संगम पर स्थित कौसानी की समुद्र सतह से 1890 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
इस स्थान पर कौशिक मुनि की तपस्थली होने के कारण इसका नाम कौसानी पड़ा
कौसानी का पुराना नाम बलना था।
कौसानी को कुमाऊं का गहना भी कहा जाता है।
1929 में महात्मा गाँधी ने यहाँ पर 12 दिनों तक प्रवास किया था ,और यंग इंडिया पुस्तक के एक लेख में कौसानी को भारत का स्विट्ज़रलैंड कहा।
कौसानी ने जिस स्थान पर गाँधी जी ने प्रवास किया था , उस स्थान को अनाशक्ति आश्रम या गाँधी आश्रम कहा गया।
यहीं पर गाँधी जी के द्वारा गीता की भूमिका पर अनाशक्ति योग नामक पुस्तक लिखी।
कौसानी में ही गाँधी जी की शिष्या सरला बहन का लक्ष्मी आश्रम भी स्थित है ,इस आश्रम की स्थापना 1941 में की गयी थी।
सुप्रसिद्ध प्रकृति प्रेमी सुमित्रानन्द की जन्मस्थली कौसानी है।
कौसानी में सुमित्रानन्द पंत संग्रहालय है ,जो की उनके जन्मस्थान पर बना है।
इसके अलावा पिनाकेश्वर महादेव कौसानी के पास ही स्थित है।
बागेश्वर जिले के प्रमुख मेले व महोत्सव
Bageshar jila ke pramukh mele aur mahotsav
उत्तरायणी मेला
बागेश्वर में सरयू नदी के तट पर मकर सक्रांति के अवसर पर उत्तरायणी मेले का आयोजन किया जाता है
उत्तरायणी मेला कुमाऊं क्षेत्र का सबसे बड़ा मेला है
उत्तरायणी मेले को पहले नौ लाख की उत्तरायणी कहा जाता था
इस मेले में चाचरी नृत्य होता है
उत्तरायणी मेले का जिक्र 1905 में सेरमन ओकले ने अपनी पुस्तक होली हिमालय में किया था
उत्तरायणी मेले के अलावा बागेश्वर में मूल नारायण मेले का आयोजन भी किया जाता है यहां मेला बागेश्वर के शिखर पर्वत पर आयोजित होता है
मां भद्रकाली का मेला , बागेश्वर में ही सानी उदियार के पास लगता है
कोट माई मेला , इस मेले का आयोजन बागेश्वर जिले में बैजनाथ से कुछ दूरी पर किया जाता है
इस मेले को कत्यूरी राजवंश के समय रणचूलाकोट कहा जाता था
बागनाथ मेला और समेति मेला भी बागेश्वर जिले मैं अयोजित होते है
बागेश्वर जिले (Bageshwar jila) के महत्वपूर्ण तथ्य
उत्तराखंड से जेल जाने वाले प्रथम स्वतंत्रता सेनानी मोहन सिंह मेहता (Mohan singh mehta ) बागेश्वर जनपद (Bageshwar jila) के मूल निवासी थे।
बागेश्वर जिले में कफनी (Kafani) और मनोहरी (Mahohari) बुग्याल हैं।
बुग्याल – उत्तराखण्ड के गढ़वाल हिमालय के हिमशिखरों की तलहटी में हरे मखमली घास के मैदान जो आमतौर पर ये 8 से 10 हजार फीट की ऊँचाई पर स्थित होते हैं।गढ़वाल हिमालय में इन घास के मैदानों को बुग्याल कहा जाता है
हरि नगरी चाय फैक्ट्री बागेश्वर में स्थित है।
बागेश्वर में 1977 में महरूड़ी कस्तूरी मृग अनुसंधान केंद्र की स्थापना की गई।
बागेश्वर को उत्तराखंड का नीलगिरी भी कहा जाता है।
सेवा नाउ नौला बागेश्वर में स्थित है अनामय आश्रम बागेश्वर (Bageshwar jila) की कौसानी में स्थित है द्रोणोथल का जंगल बागेश्वर मैं सानी उड़्यार के पास स्थित है।
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नैनीताल जिला ( Nainital jila )
नैनीताल जिला Nainital district – झीलें व प्रमुख स्थल | Hindlogy
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