अल्मोड़ा जिले का इतिहास
Almora District -History
अल्मोड़ा जिले (Almora District) का इतिहास – सन 1814 से 1816 तक चले आंग्ल -गोरखा (आंग्ल -नेपाल ) युद्ध में अंग्रेजो की विजय हुई जिसके परिणाम स्वरुप 1816 की सुगौली की संधि हुई और नेपाल को अपना एक तिहाई भाग अंग्रेजो को देना पड़ा | इस समय भारत का गवर्नर जनरल लॉर्ड्स हेस्टिंग्स था | नेपाल से संधि के तहत प्राप्त भूभाग में से ईस्ट इंडिया कंपनी ने कुमाऊँ, देहरादून और पूर्व गढ़वाल को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला दिया और पश्चिमी गढ़वाल को राजा सुदर्शन शाह को दे दिया, जिसमें उन्होंने टिहरी रियासत की स्थापना की।
जिलों का विभाजन
उस समय कुमाऊँ मण्डल केवल दो जिलों में विभाजित था,
1 ) कुमाऊँ
2 ) तराई
इन जिलों के मुख्यालय क्रमशः अल्मोड़ा तथा काशीपुर नगरों में स्थित थे।
कुमाऊँ जिला – इसमें वर्तमान उत्तराखण्ड राज्य के अल्मोड़ा, बागेश्वर, नैनीताल, चम्पावत, पिथौरागढ़, पौड़ी गढ़वाल, चमोली तथा रुद्रप्रयाग जिले के कुछ भाग आते थे
तराई जिला – वर्तमान में उधम सिंह नगर जिले के समकक्ष था
1837 में पूर्वी गढ़वाल के क्षेत्र को कुमाऊँ जिले से निकालकर एक अलग जिला घोषित कर दिया गया, और इसका मुख्यालय पौड़ी नगर स्थापित किया गया |
इसके साथ ही नैनीताल तहसील को 1891 में कुमाऊं जिले से स्थानांतरित कर तराई के साथ मिला दिया गया, और इसके मुख्यालय को काशीपुर से नैनीताल में लाया गया |
अल्मोड़ा जिला की स्थापना
Establishment of Almora district
1891 में कुमाऊँ और तराई जिलों का नाम उनके मुख्यालयों के नाम पर क्रमशः अल्मोड़ा (Almora )तथा नैनीताल (Nainital) रख दिया गया था।
24 फरवरी 1960 को पिथौरागढ़ (pithoragad) जिला को अल्मोड़ा जिले (Almora district) से अलग करके एक नया जिला बनाया गया को बाद में बागेश्वर जिला 15 अगस्त 1997 को अल्मोड़ा जिले (Almora District) से अलग कर बनाया गया ।
2011 में रानीखेत जिले को भी अल्मोड़ा जिले (Almora District) से बनाने की घोषणा हुई थी, परन्तु उस घोषणा को वर्तमान तक अमल में नहीं लाया गया
अल्मोड़ा जिले (Almora district) का मुख्यालय भी अल्मोड़ा में ही है। अल्मोड़ा जिले के एक गाँव में ही नोबेल पुरस्कार विजेता सर रोनाल्ड रॉस (13 मई 1857 – 16 सितम्बर 1932 ) का जन्मस्थान है | इन्हे चिकत्सा तथा मलेरिया के परजीवी प्लाज्मोडियम के जीवन चक्र की खोज के लिए सन 1902 में नोबल पुरस्कार प्रदान किया गया था |
अल्मोड़ा अपनी सांस्कृतिक विरासत, हस्तकला, खानपान और ठेठ पहाड़ी सभ्यता व संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है|अल्मोड़ा नगर के अलावा जिले में और भी कई प्रमुख स्थान है जो पर्यटन के दृष्टि के साथ साथ ऐतिहाइक दृष्टि से भी अपना अगला महत्व रखते है |
अल्मोड़ा जिले की भौगोलिक स्तिथि और प्रशासन
Geographical situation and administration of Almora district
1.क्षेत्रफल – 3139 वर्ग किमी
2.अल्मोड़ा जिले (Almora district) का मुख्य नगर अल्मोड़ा कोसी और सुयाल नदियों के मध्य में स्थित है
3.पर्वत की छोटी में बसे अल्मोड़ा शहर के सामने वाला भाग टेलीफाट और पीछे का भाग सेलिफाट कहलाता है
4.अल्मोड़ा जिला (Almora district) अपनी सीमा 6 अन्य जिलों के साथ बनाता है और यह राज्य के 4 आंतरिक जिलों में से एक है
5.अल्मोड़ा नगर को ताम्र नगरी के नाम से भी जाना जाता है
6.अल्मोड़ा जिले में स्तिथ मरचूला को पीतल नगरी कहा जाता है
तहसील -12
विकासखंड – 11
जनसँख्या – 622506 (2011 की जनगणना के अनुसार)
अल्मोड़ा जिले का लिंगानुपात -1139
(अल्मोड़ा उत्तराखंड राज्य का पहला और देश का दूसरा सबसे ज्यादा लिंगानुपात वाला जिला है)
कुल विधानसभा क्षेत्र – 6
विधानसभा क्षेत्र – विधायक
1- रानीखेत– श्री करन माहरा (इंडियन नेशनल कांग्रेस)
2- सोमेश्वर (अ.जा.)- श्रीमती रेखा आर्या (भारतीय जनता पार्टी)
3- अल्मोड़ा– श्री रघुनाथ सिंह चौहान (भारतीय जनता पार्टी)
4- जागेश्वर– श्री गोविन्द सिंह कुंजवाल (इंडियन नेशनल कांग्रेस)
5- सल्ट– सुरेंद्र सिंह जीना ( दुर्भाग्यवश हाल ही में कोरोना से निधन)
6 – द्वाराहाट– श्री महेश सिंह नेगी (भारतीय जनता पार्टी)
नोट – उत्तराखंड विधानसभा में 13 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, सोमेश्वर इसमें से एक है
अल्मोड़ा जिले (Almora District )की तहसील
कुल संख्या – 12
1- रानीखेत, 2- अल्मोड़ा, 3- द्वाराहाट, 4- लमगड़ा, 5- स्याल्दे
6- चौखुटिया, 7- भिकियासैंण, 8- सल्ट, 9- सोमेश्वर, 10- धौलछीना
11- जैंती, 12- भनौली
अल्मोड़ा जिले (Almora District) के विकासखण्ड
कुल संख्या – 11
1- धौलादेवी , 2- ताकुला, 3- द्वाराहाट, 4- लमगड़ा, 5- स्याल्दे
6- चौखुटिया, 7- भिकियासैंण, 8- सल्ट, 9- भैंसियाछाना
10- हवालबाग, 12- ताड़ीखेत
अल्मोड़ा जिले (Almora district) के संस्थान –
1. उदय शंकर नृत्य एवं नाटक अकादमी –
स्थापना वर्ष – 2003 .
2.नाट्य एवं संगीत अकादमी
स्थापना वर्ष – 2002.
3.उत्तराखंड सेवा निधि एवं पर्यावरण शिक्षा संस्थान –
कटारमल (अल्मोड़ा )
4.रक्षा कृषि शोध संस्थान –
कटारमल (अल्मोड़ा)
5.पंडित गोविन्द वल्लभ पंत राजकीय संग्रहालय –
स्थापना वर्ष -1979
6.पंडित गोविन्द वल्लभ पंत हिमालय पर्यावरण संस्थान –
अल्मोड़ा ( कोसी नदी के किनारे )
1924 में डॉ बोसी सेन द्वारा स्थापित विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधानशाला अल्मोड़ा के कटारमल में स्थित है।
अल्मोड़ा जिले के मेले एवं महोत्सव-
स्यालदेबिखोती-
द्वाराहाट के विभंडे श्वर में स्यालदेबिखोती का मेला आयोजित होता है यह मेला वैशाख संक्रांति के अवसर (13 से 16 अप्रैल) पर लगता है। भगनौल लोकगीत गाकर इस मेले में उत्सव मनाया जाता है इस कारण भगनौल गीत को स्यालदे पोखर भी कहा जाता है।ये मेला अपनी पौराणिक लोक-संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है।
श्रावणी मेला –
अल्मोड़ा के सुप्रसिद्ध शिव के धाम जागेश्वर में श्रावणी मेला लगता है।श्रावणी मेले का आयोजन प्रतिवर्ष 20-25 जुलाई को किया जाता है।मनोरंजन, व्यापार तथा उत्तराखंड की लोक-संस्कृति का परिचय देना श्रावणी मेले के आयोजन का मुख्य उद्देश्य है।
सोमनाथ मेला-
रामगंगा नदी के किनारे अल्मोड़ा के पाली परगने में लगने वाला सोमनाथ मेला जानवरों की खरीद फरोख्त के लिए प्रसिद्द है।
गणनाथ मेला-
संतान प्राप्ति की कामना लिए लोग अल्मोड़ा में आयोजित होने वाले गणनाथ मेले में पूजा अर्चना करते है।
सालम रंग-
अल्मोड़ा जिले किया सालम पट्टी में हर वर्ष जुलाई माह में सालम रंग महोत्सव का आयोजन किया जाता है।
इस महोत्सव में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते है।
शहीद मेला-
अल्मोड़ा के सल्ट खुमाड़ क्षेत्र में प्रतिवर्ष 5 सितंबर को शहीद मेले का आयोजन किया जाता है।
शहीदों की याद में शहीद मेले का आयोजन किया जाता है।
दूनागिरी, मासी, बग्वाली पोखर अल्मोड़ा जनपद के अन्य प्रसिद्ध मेले है।
अल्मोड़ा जिले (Almora district) में स्थित प्रमुख पर्वत और घाटियां
a ) अल्मोड़ा जिले में स्थित प्रमुख पर्वत
1.हरिया पर्वत
2.भटकोट पर्वत श्रेणी
3.रानी पर्वत
b ) अल्मोड़ा जिले की प्रमुख घाटियां
1.सोमेश्वर घाटी
( इस घाटी का निर्माण कोसी नदी के द्वारा किया गया है )
सोमेश्वर घाटी को कुमाऊँ में धान का कटोरा भी कहा जाता है
2.कोरोमंडल घाटी
3.पनार व मनान घाटी
4.सिमलखेत घाटी
अल्मोड़ा जनपद में औद्योगिक क्षेत्र –
मेडिसिन फार्मास्यूटिकल लिमिटेड – मोहान ( अल्मोड़ा )
कॉपरेटिव ड्रग्स फैक्ट्री – रानीखेत
इंडियन इस्टीट्यूट ऑफ आर्युवेद फॉर ड्रग्स रिसर्च- ताड़ीखेत (अल्मोड़ा )
अल्मोड़ा जिले की पाई जाने वाली प्रमुख खनिज सम्पदायें ¦
1. अल्मोड़ा जिला खनिज सम्पदाओं की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण क्षेत्र है
2. अल्मोड़ा के कई क्षेत्र अपनी खनिज सम्पदाओं के लिए प्रसिद्ध हैं |
3. अल्मोड़ा जिला राज्य का एकमात्र जिला है जहाँ चांदी मिलती है |
4. अल्मोड़ा के चौखुटिया क्षेत्र और दानापानी क्षेत्र में चुने के भण्डार पाए जाते हैं |
5. अल्मोड़ा के चौनापानि क्षेत्र और राई क्षेत्र में प्रमुख रूप से सीसे का उत्पादन किया जाता है |
6. अल्मोड़ा के झिरौली क्षेत्र में मैग्नेसाइट और ताम्बे का उत्पादन किया जाता है |
खेल
हेमवती नंदन बहुगुणा स्पोर्ट्स स्टेडियम एवम गगास नदी के तट पर स्थित गोल्फ ग्राऊण्ड ( निर्माण – 1920) भी अल्मोड़ा जिले में स्थित है इसी के साथ एक अन्य नौ कोने वाला गोल्फ मैदान भी अल्मोड़ा जिले में है।
अल्मोड़ा जिले के प्रमुख मंदिर
कटारमल सूर्य मंदिर
9 वीं -10 वीं शताब्दी में कटारमल राजा कटारमल के द्वारा करवाया गया था |
1000 वर्ष पुराना यह मंदिर बड़ादित्य सूर्यमंदिर के कारण प्रसिद्ध है |
अल्मोड़ा के दर्शनीय स्थानों में कटारमल सूर्य मंदिर दूसरा सबसे महत्वपूर्ण सूर्य मंदिरहैं।
(पहला सूर्य मंदिर ओडिशा का कोर्णाक मंदिर, जिसका निर्माण ओडिशा के राजा नरसिंह देव प्रथम ने करवाया था )|
माना जाता हैं कि अल्मोड़ा स्थित कटारमल सूर्य मंदिर 800 से भी अधिक साल पुराना हैं और यहाँ के मुख्य मंदिर में 45 छोटे मंदिरों स्थापित हैं।कटारमल सूर्य मंदिर के प्रमुख देवता बुरहदिता या वृद्धादित्य (पुराने सूर्य देवता) हैं। मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती के अलावा लक्ष्मी-नारायण की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं।
चितई मंदिर
अल्मोड़ा के दर्शनीय पर्यटन स्थलों में शामिल भगवान गोलू का चितई मंदिर भक्तो के बीच बहुत अधिक प्रसिद्ध हैं।
यह मंदिर भगवान शिव के एक अन्य नाम चितई के रूप में जाना जाता हैं।
चितई मंदिर का निर्माण चांद शासन के दौरान किया गया था।
मंदिर में भक्तो द्वारा लटकाई जाने वाली घंटियों का आकर्षण देखने लायक होता है
कसार देवी मंदिर
कसार देवी मंदिर अल्मोड़ा नगर से 8 किमी दूर स्थित कसार देवी के स्थानीय देवता को समर्पित एक पहाड़ी पर स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है।
इस स्थान पर हुए 1960 और 1970 के दशक के बीच हिप्पी आंदोलन के बाद इस क्षेत्र को प्रमुखता मिली।
यह स्थान कई दिग्गजों के लिए जाना जाता है जिनमे से बॉब डिलन, टिमोथी लेरी, एलन गिन्सबर्ग, कैट स्टीवंस और स्वामी विवेकानंद आदि लोग यहाँ पर शांत वातावरण और ध्यान के लिए आते रहे हैं ।
एडवेंचर से प्रेरित लोग यहां लंबी पहाड़ियों और पहाड़ियों पर ट्रेक के लिए आते हैं ।
इसके अलावा और भी कई प्रमुख मंदिर अल्मोड़ा जनपद में स्थित है जिनके नाम क्रमशः
जागेश्वर,नन्दा देवी मन्दिर
कालीमठ मन्दिर
दूनागिरी मन्दिर
सीतला देवी मन्दिर
पाताल देवी या पाटेश्वरी मन्दिर
देवीयक्षिणी देवी मन्दिर
राजराजेश्वरी देवी मन्दिर
त्रिपुरा नंदा मन्दिर
उलका देवी मन्दिर
सीतला देवी मन्दिर
कोट कालिका मन्दिर
दुर्गा रत्नेश्वरी मन्दिर
भैरव मन्दिर :-
काल भैरव मन्दिर
बटुक भैरव मन्दिर
शाह भैरव मन्दिर
गढ़ी भैरवा मन्दिर
आनंद भैरव मन्दिर
गौर भैरव मन्दिर
बाल भैरव मन्दिर
खुटकुनी भैरव मन्दिर
अल्मोड़ा जिले का नदी तंत्र
- कोसी नदी की सहायक नदी सुयाल नदी अल्मोड़ा में स्थित लखुउडियार के पास बहती है |
- पनार नदी अल्मोड़ा , पिथौरागढ़ और चम्पावत जिलों के साथ सीमा बनाती है |
- अल्मोड़ा के ही भिकियासैण में गगास नदी रामगंगा नदी से मिलती है
- पांच सुरंगो वाली तड़ाग ताल भी अल्मोड़ा में ही स्थित है
अल्मोड़ा जनपद -भाग -२ ( प्रमुख स्थल )
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