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chamoli jila (चमोली जिला) – Chamoli District चमोली जिले की सम्पूर्ण जानकारी

चमोली जिला ( Chamoli Jila )

चमोली जिले के मेले

किसान औद्योगिक एवं पर्यटन विकास मेला
माई के समय इस मेले का आयोजन चमोली जिले ( chamoli jila )  में किया जाता है।

शहीद भवानी दत्त जोशी मेला

चमोली जिले (chamoli jila) के थराली में यह मेला लगता है।

महामृत्युंजय मेला

इस मेले का आयोजन चमोली जिले ( chamoli jila ) के नारायण बगड़ में किया जाता है।

रूपकुंड मेला
नंदा राज जात का आखिरी पड़ाव में इस मेले का आयोजन किया जाता है।

काश्तकार मेला
चमोली जिले के ग्वालदम में इस मेले का आयोजन किया जाता है।

बसंत बुरास मेला
यह मेला चमोली जिले में मई के आसपास लगता है।

गोचर मेला

गौचर मेला चमोली जिले के गोचर में आयोजित किया जाता है यहां एक सामाजिक सांस्कृतिक और व्यापारिक मेला है इसकी शुरुआत 1943 में हुई थी उसको शुरुआत करने का श्रेय बरनेड़ी जाता है।

कुल सारी मेला
जा मेला चमोली जिले के थराली में लगता है।

तिमुण्डिया मेला

इस मेले को तुमड़ी मेला भी कहा जाता है।
चमोली जिले के जोशीमठ में नरसिंह मंदिर में यहां मेला लगता है।

हरियाली पुडा मेला

यह मेला चमोली जिले में कर्णप्रयाग के पास स्थित नॉटी गांव में लगता है ।
किस मेले की यह विशेषता है कि इसमें मायके से आई हुई विवाहित लड़कियों की पूजा की जाती है ।

नैथा कौथिक मेला

इस मेले को हिमालय महोत्सव भी कहा जाता है ।
पुराने समय में इस महोत्सव में पाषाण युद्ध का आयोजन किया जाता था वर्तमान समय में सांकेतिक या प्रतीकात्मक रूप से इस मेले का आयोजन किया जाता है ।
यह मेला आदि बद्री के पास लगता है ।

रम्माण उत्सव

रम्माण उत्सव रामायण से संबंधित है।
यहां उत्सव चमोली जिले में जोशीमठ के पास तेलंग तथा सलून गांव में आयोजित किया जाता है।
2 अक्टूबर 2009 में यूनेस्को के द्वारा इस उत्सव को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में शामिल किया गया था ।

चमोली जिले में कुछ प्रमुख यात्राओं का आयोजन भी किया जाता है,

मनणे मैं की जात

यह चमोली जिले के मद्महेश्वर मार्ग में आयोजित की जाती है

घंडियाल की जात

इसका आयोजन भी चमोली जिले में किया जाता है

नंदा राज जात यात्रा

  • नंदा राजजात यात्रा कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्र की सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है ,
  • प्रत्येक 12 वर्षों में एक बार इस मेले का आयोजन किया जाता है,
  • इससे पहले 2014 में इस मेले का आयोजन किया गया था, अब यह मेला 2026 में आयोजित किया जाएगा।
  • नंदा राजजात यात्रा लगभग 19 से 20 दिनों तक चलती है।
  • यह एक पैदल यात्रा है, जिसकी लंबाई 280 किलोमीटर है।
  • मां नंदा या पार्वती भगवान शिव की पत्नी को ससुराल ले जाने के उपलक्ष में इस यात्रा को मनाया जाता है।
  • कासवा गांव नौटी से इस यात्रा की शुरुआत होती है तथा होमकुंड इसका अंतिम पड़ाव है।
  • इस यात्रा को चांदपुर गढ़ के वंशज कासवा गांव के राजकुमार आयोजित करते हैं,पार्वती की विदाई के स्वरूप में इस यात्रा को मनाया जाता है।
  • इस यात्रा में चार सींगो वाला एक भेड़ यात्रा के आगे आगे चलता है, जिसे मेड़ा बोला जाता है।
  • नंदा राज जात यात्रा में नंद केसरी गांव से कुमाऊं और गढ़वाल दोनों के लोग शामिल हो जाते हैं यह यात्रा का दसवां पड़ाव है।
  • इस यात्रा का अंतिम गांव बाणा है, इसके बाद इस यात्रा का दुर्गम पड़ाव शुरू हो जाता है।
  • इस यात्रा में बेदिनी कुंड पहुंचने पर मां नंदा देवी की ब्रह्म कमल से पूजा की जाती है
  • यात्रा के दौरान ज्युरागली नाम का एक दर्रा भी पड़ता है।

फूलों की घाटी

  • 1931 में फ्रैंक स्माइल के द्वारा चमोली जिले में स्थित “फूलों की घाटी” की खोज की गई थी।
  • फ्रैंक स्माइल ने अपनी किताब “वैली ऑफ फ्लावर्स” में फ़ूलों की घाटी का वर्णन किया था।
  • 1982 में फूलों की घाटी को राष्ट्रीय पार्क का दर्जा दिया गया जिसके बाद 2005 में UNESCO के द्वारा इसे वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल किया गया था
  • यह क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे छोटा (87.5) km2 नैशनल पार्क है
  • फूलों की घाटी में पुष्पावती नदी बहती है।
  • इसका मुख्यालय जोशीमठ में है।
  • स्कन्दपुराण के केदारखण्ड में फूलों की घाटी को नन्द कानन कहा गया है।

नन्दादेवी राष्ट्रीय उद्यान

  • इस उद्यान की स्थापना 1982 में की गई थी।
  • 1988 में नन्दादेवी राष्ट्रीय उद्यान को UNESCO द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल किया गया।
  • इस राष्ट्रीय उद्यान का कुल क्षेत्रफल 624 वर्ग किमी है।
  • इसका मुख्यालय जोशीमठ में है।

केदारनाथ वन्य जीव विहार

  • केदारनाथ वन्य जीव विहार चमोली और रुद्रप्रयाग जनपदों में फैला है,
  • इसकी स्थापना 1972 में की गई थी।
  • केदारनाथ वन्य जीव विहार उत्तराखंड राज्य का सबसे बड़ा वन्य जीव विहार है, इसका कुल क्षेत्रफल 967 वर्ग किलोमीटर है।

चमोली जिले के प्रसिद्ध कुंड

चमोली जिले में कुछ प्रसिद्ध कुंड भी मिलते हैं, इन कुंडों में –

भाप कुंड
चमोली जिले के तपोवन में स्थित एक गर्म जलकुंड है।

तप्त कुंड
यह एक गर्म पानी का कुंड है जोकि बद्रीनाथ के पास है।

नंदी कुंड
बहुत ठंडे जल का कुंड है और मधु गंगा नदी पर स्थित है।

इसके अलावा चमोली जिले में ऋषि कुंड और वैतरणी कुंड (गोपेश्वर ) है।

चमोली जिले के अन्य तथ्य

चिनाब घाटी चमोली जिले में स्थित है, यह घाटी जोशीमठ से 30 किलोमीटर दूर है
चांदपुर गढ़ चमोली जिले में है।
चांदपुर गढ़ गढ़वाल के 52 गुणों में शामिल अभी बचा हुआ अंतिम गढ़ है

तिम्मर सैंण गुफा
यह गुफा चमोली जिले के नीति घाटी में स्थित है, इसमें अमरनाथ की तरह ही शिवलिंग स्थापित है।

ग्वालदम
चमोली जिले में स्थित ग्वालदम क्षेत्र को कुमाऊनी और गढ़वाली संस्कृति की एकता का प्रतीक माना जाता है।
यह स्थान सेब उत्पादन और चाय बागानों के लिए प्रसिद्ध है।
बधाणगड़ी किला ग्वालदम में ही स्थित है।
इसके अलावा चमोली जिले में ,
वासुदेव मंदिर ,लव कुश मंदिर , गोपीनाथ मंदिर , उमा देवी मंदिर , लाटू देवता मंदिर
आदि प्रसिद्ध मंदिर भी हैं।

जड़ी-बूटी शोध एवं विकास संस्थान चमोली जिले के गोपेश्वर में स्थित है

विवेकानंद युवा केंद्र क्योंकि एक गैर सरकारी संगठन है यह संस्थान भी चमोली जिले के जोशीमठ में है

इसके अलावा चमोली जिले के कपिल शर्मा इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी है

 

पिथौरागढ़ जिला : Pithoragarh District : Hindlogy

उधम सिंह नगर जिला (Udham Singh Nagar District) : UDHAMSINGH NAGAR JILA

बागेश्वर जिला | Bageshwar jila (Bageshwar District)

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