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भूकंप Earthquake -Bhukamp kya hota hai ( भूकंप क्या होता है ) ? : Hindlogy

Bhukamp- earthquake

भूकंप | Earthquake



भूकंप क्या होता है ?
Bhukamp kya hota hai ?

BHUKAMP -भूकंप पृथ्वी की उन प्राकृतिक घटनाओ में से एक है जिससे किसी स्थान विशेष में इसके घटित होने पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है जिसके लिए वैज्ञानिकों द्वारा समय – समय पर दुनिया को इसके प्रति आगाह किया जाता रहा है आज की पोस्ट में हम जानेगे की भूकंप आने क्या कारण हैं

धरती पर भूकंप ( BHUKAMP ) आता क्यों है ?

धरती में भूकंप उत्पन्न होने के मुख्य्तः दो कारण हैं
1 – प्राकृतिक
2 – मानवीय

भूकंप ( BHUKAMP ) आने का प्राकृतिक कारण
Natural cause of earthquake

धरती में हमेशा आंतरिक रूप से हलचल बनी रहती . पूरे विश्व पर इन आंतरिक हलचलों का प्रभाव रहता है . कहीं पर इन आंतरिक हलचलों का प्रभाव कम रहता है ,जबकि कहीं इन हलचलों का प्रभाव अधिक रहता है जिसे भूकंप कह दिया जाता है ,

अतः भूकंप ( BHUKAMP ) को जानने से पहले हमको इसकी कार्यविधि को समझना होगा

हमारी धरती मुख्य तौर पर चार परतों में बांटा गया है ,
जिनके नाम क्रमशः –
1 – क्रस्ट (Crust )
2 –मैंटल (Mantel)
3 –इनर कोर,( inner Core )
4 –आउटर कोर, (Outer Core )

layers of earth

1) क्रस्ट Crust

क्रस्ट धरती की सबसे पतली परत है। यह परत भूमि के भीतर करीब 70 किमी तक होती है पृथ्वी की सतह पर जो कुछ भी हमें दिखता है, वह सब क्रस्ट के अंतर्गत आता है। ।

परंतु यदि हम पृथ्वी को एक सेब के आकार का मानें, तो क्रस्ट परत, सेब के छिलके से भी पतली प्रतीत होगी।
क्रस्ट परत दो प्रकार की होती है:
a ) महाद्वीपीय परत
b ) महासागरीय परत।

महासागरीय परत महासागरों तथा समुद्रों की तलहटी में पाई जाती है। यह क्रस्ट की सबसे अधिक मजबूत, ठोस तथा गहरी परत होती है । इसमें अधिक घनत्व वाली चट्टानें जैसे कि बैसाल्ट आदि पाई जाती हैं।

2) मेंटल Mantle

मेंटल परत धरती के अंदर करीब 2,890 किमी तक गहराई में फैली है। अन्य सभी परतों में यह परत अधिक चौड़ी होती है। पृथ्वी के आयतन का करीब 84% हिस्सा मेंटल परत का है।

भूगर्भीय विशेषताओं के आधार पर, मेंटल को मुख्यतः दो भागों में विभाजित किया गया है।

ऊपरी मेंटल परत जो 670 किमी की गहराई तक स्थित है।

यह परत दलदली होती है,  उसके नीचे 670 किमी से करीब 2900 किमी तक निचली मेंटल परत पाई जाती है।

अब तक किये गए शोधों के आधार पर यह माना गया है कि मेंटल परत स्थिर नही है तथा यह निरंतर गति से चलायमान रहती है।

ऐसा कहा गया है, क्रस्ट परत में स्थित टेक्टोनिक प्लेट्स की दिशा इसी गतिविधि के आधार पर निर्धारित होती हैं।

3) कोर Core

सामान्य तौर पर हम कोर को एक परत के रूप में जाना है । परंतु इसे संरचनात्मक आधार पर दो भागों में बांटा गया है
यह दो भाग हैं
1- आतंरिक कोर
2 – बाह्य कोर

1- आतंरिक कोर ( Inner Core )

आतंरिक कोर ठोस होती है तथा करीब 1,220 किमी की त्रिज्या में फैली हुई है।

2 – बाह्य कोर ( Outer Core )

जबकि बाह्य कोर तरल रूप में है तथा यह 3,400 किमी की त्रिज्या तक उपस्थित है। कोर परत के बारे में हमे जो भी जानकारी प्राप्त होती है भूगर्भीय तरंगों के आधार पर प्राप्त हुई है।

क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल को लिथोस्फेयर कहा जाता है । ये 50 किलोमीटर की मोटी परत,कई वर्गों में बंटी हुई है, जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है।

ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं लेकिन जब ये बहुत ज्यादा हिल जाती हैं, तो भूकंप आ जाता है।

ये प्लेट्स क्षैतिज रूप से और ऊर्ध्वाधर रूप से , दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं।

इसके बाद वे अपनी जगह तलाशती हैं और ऐसे में एक प्लेट दूसरी के नीचे आ जाती है।.

करोड़ों बरसों पहले जब कई प्लेट्स ऐसे ही टकराई थीं, तब इसी टक्कर से कई सारे पहाड़ बने थे. हिमालय का निर्माण भी ऐसी ही हुआ था . कहीं-कहीं भूकंप के अलावा ज्वालामुखी भी फट जाते हैं.


इंडिया और यूरेशिया के प्लेट्स

 

world fault lines

विश्व की फाल्ट लाइन्स 

इन प्लेटों के आधार पर धरती को कई फॉल्ट जोन में बांटा गया है. जब ये प्लेट्स एक-दूसरे से मिलती हैं. तो कमजोर प्लेट से मजबूत प्लेट के टकराने से कमजोर प्लेट टूट जाती है

जिससे बड़ी मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है परिणामस्वरूप उस स्थान पर भूकंप ( BHUKAMP ) की दशा उत्पन्न हो जाती है

यह ऊर्जा भू -गर्भ से तरंगो के रूप में मुक्त होती है वास्तव में ये तरंगे ही भूकंप  ( BHUKAMP ) का प्रमुख कारण होती हैं

इन्ही तरंगो का असर उपरी सतह पर दिखाई देता है. किसी स्थान पर भूकंप ( BHUKAMP ) की स्थिति क्या रहेगी वह कितना विनाशकारी होगा यह उन तरंगो की तीव्रता पर निर्भर करता है


आइये इन तरंगो के बारे जानते हैं
Let’s know about these waves

ये तरंगे मुख्य्तः तीन प्रकार की होती हैं

earthquake waves

1-प्राथमिक तरंग (Primary or P waves)
2-माध्यमिक तरंग (Secondary, S or Shear Waves)
3-धरातलीय या सतही तरंग (L or Surface Waves)

प्राथमिक तरंग (Primary or P waves) –

ये भूकंप ( BHUKAMP ) में उत्पन्न्न की सबसे प्रारंभिक तरंगे होती हैं जिसमें नुकसानी नही होती है. ये तरंगें सामान्यतया शून्य से तीन रिएक्टर तक पृथ्वी पर कपंन उत्पन्न होता है.

माध्यमिक तरंग (Secondary, S or Shear Waves) –

इन्हे सेकन्डियरी वेव्स भी कहा जाता है
इन तरंगों में चार से सात रिएक्टर तक कम्पन उत्पन्न होता है जिससे सबसे पहले समान हिलने लगता है जैसे- फर्नीचर, वाहन घर का व अन्य समान तथा दीवारों मे दरार आजाती है, घरों की खिड़कियाँ हिलने लगती है.

सतह तरंग (L or Surface Waves) –

ये तरंगे भूकंप ( BHUKAMP ) की सबसे खतरनाक तरंग है जो कि भारी तबाही मचाती है ,और सब कुछ खत्म कर देती है. कई बार तो इनका रूप इतना भयावह होता है कि आस-पास सिर्फ विनाश ही दिखाई देता है

ये तरंगे सात से ज्यादा रिएक्टर होते हुये आठ,नौ,दस रिएक्टर तक पार हो जाता है,

इसी प्रकार टेकटोनिक प्लेट्स के हिलने के भी कई तरीके हैं जिनसे उन स्थानों पर फॉल्टों का निर्माण होता है और उन स्थानों में भूकम्प ( BHUKAMP ) के आने की संभावना बनी रहती है।

1.Strike-Slip (स्ट्राइक स्लिप )

इस प्रकार की स्थिति में एक दुसरे के अगल-बगल खिसक जाती हैं. इस प्रकार बने फाल्ट का बड़ा उदाहरण है अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया का सैन एंड्रियाज फॉल्ट.

2.Dip-Slip ( डिप – स्लिप )

इस स्थिति में टेक्टोनिक प्लेट्स ऊपर-नीचे हिलती हैं, तो भी भूकंप आता है. उत्तरी अमेरिका और प्रशांत महासागरीय प्लेट में ऐसा होता है.

3.Oblique (ऑब्लिक )

इस स्थिति में प्लेट्स ऊपर-नीचे और अगल-बगल दोनों तरफ खिसकती है. सैन फ्रांसिस्को में ऐसा होता है.


मानवीय गतिविधियों से प्रेरित भूकंप ( BHUKAMP ) :
Earthquake induced by human activities:

मानवीय गतिविधियाँ भी भूकंप ( BHUKAMP ) के लिए जिम्मेदार होती । प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के लिए मानव द्वारा भूमि का दोहन किया जाता है।

जिसमें गहरे कुओं से तेल निकालना, गहरे कुओं में अपशिष्ट पदार्थ या कोई तरल भरना अथवा बांधों का निर्माण करना और नाभिकीय परीक्षण जैसी कई गतिविधियां शामिल होती है


भूकंप ( BHUKAMP ) की शक्ति का पता कैसे लगाया जाता है :
How is the strength of an earthquake detected?

भूकंप की प्रबलता मापने के दो तरीके हैं,परिमाण और तीव्रता।

भूकंप के परिमाण का मापन रिएक्टर स्केल(भूकंप-लेखी )में दर्ज होने वाली भू-तरंगों के आधार पर किया जाता है।

रिएक्टर स्केल भूकंप का पता लगाने वाला उपकरण है।

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