Hindlogy की अंतिम पोस्ट में हमने बन्दा बहादुर के विषय में जानकारी दी थी, उसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए आज की इस पोस्ट में पंजाब में बने सिक्खों के छोटे-छोटे राज्यों अर्थात् मिसालों का वर्णन किया गया है।
1716 में बंदा बहादुर की मृत्यु के पश्चात सिक्ख छोटे-छोटे दलों में बंट गए।
इसी समय सिक्खों में कुछ नई प्रथाओं का प्रचलन हुआ जिसमें शरबत खालसा और गुरुमत्ता प्रमुख थी।
शरबत खालसा-
सिख समुदाय के दल वैशाखी और दिवाली के दिन वर्ष में दो बार एकत्रित होते थे उनके एकत्रित होने की इसी प्रथा को शरबत खालसा कहा गया।
गुरुमत्ता-
वर्ष में दो बार इकट्ठा होने ( शरबत खालसा) के पश्चात सिख समुदायों द्वारा किसी विषय पर निर्णय लेने की प्रथा को गुरुमत्ता कहा गया।
दल खालसा-
1748 ईस्वी में सिख समुदाय के छोटे-छोटे सभी दलों ने मिलकर दलखालसा का संगठन किया।
राखी प्रथा-
1753 ईस्वी में दल खालसा संगठन ने अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए राखी प्रथा का प्रचलन शुरू किया, इस प्रथा के तहत प्रत्येक गांव से उपज का 1/5 भाग लिया जाता था, तथा इसके बदले गांव को सुरक्षा का वचन प्रदान किया जाता था।
1764 ईस्वी में सिखों द्वारा अमृतसर में चलाए गए शुद्ध चांदी के सिक्के जिसमें देग, तेग एवं फतेह का लेख अंकित था, जो पंजाब में संप्रभुता की पहली घोषणा थी।
पंजाब में छोटे-छोटे सिख दलों के राज्य स्थापित हुए ,ये राज्य मिसल कहलाए, तत्कालीन पंजाब में 12 मिसले शासन कर रही थी जो निम्नलिखित थी।
1- अहलूवालिया मिसल
2- भंगी मिसल
3- सुकेरचकिया मिसल
4- नक्कई मिसल
5- कन्हैया मिसल
6- निशानिया मिसल
7- रामगढिया मिसल
8- करोड़ा सिंधिया मिसल
9- दल्ले हवाला मिसल
10- फिजूलपुरिया मिसल
11- धनई मिसल
12- फुलकिया मिसल
– भंगी मिसल सबसे अधिक शक्तिशाली मिसल थी।
– राजा रणजीत सिंह सुकरचकिया मिसल से संबंधित थे।
आगामी पोस्ट में राजा रणजीत सिंह के जानकारी दी जाएगी ।
दोस्तों, आशा करते हैं की आपको यह पोस्ट पसंद आयी होगी ,hindlogy की सिक्ख राज्य से सम्बंधित आगामी पोस्ट में आपको राजा रणजीत सिंह के बारे में जानकारी दी जाएगी