नैनीताल जिले की प्रमुख झील
नैनी ताल या नैनीझील
नैनीताल जिले का मुख्य आकर्षण नैनीझील है
नैनी झील सात पहाड़ियों से घिरी है
स्कंद पुराण में नैनीझील की त्रिऋषि सरोवर कहा गया है
इस सम्बन्ध मैं यह कथा प्रचलित है, कि तीन ऋषियों अत्रि , पुलत्स्य और पुलह ऋषि को नैनीताल में कही भी पानी नही मिला, तो उन्होंने एक गड्ढा खोदा और मानसरोवर झील से पानी लाकर उसमें भरा
इस झील में डुबकी लगाने से उतना ही पुण्य मिलता है, जितना मानसरोवर नदी में नहाने से मिलता है।
यह झील 64 शक्ति पीठों में से एक है।
नैनीझील के उत्तरी भाग को मल्लीताल और दक्षिणी भाग को तल्लीताल कहते हैं
नैनीझील के उत्तरी सिरे पर प्रसिद्ध नैनादेवी का मंदिर भी स्थित है
नौकुचिया ताल
नैनीताल जनपद में स्थित नौकुचिया ताल कुमाऊं क्षेत्र की सबसे गहरी ताल है
समुद्र तल से यह ताल 1292 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है
इस ताल की गहराई 40 मीटर है
नौकुचिया ताल मैं नौ कोने है , क्षेत्र के लोगों का यह मानना है कि यदि कोई इस ताल के 9 कोनों को एक ही दृष्टि में देख ले तो उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है, परंतु वास्तविकता में एक बार में 7 से अधिक कोने नहीं देखे जा सकते
नौकुचिया ताल पक्षियों के निवास के लिए सर्वोत्तम है, इसके अलावा यहां पर विदेशी पक्षी भी देखे जा सकते हैं
सात ताल
समुद्र तल से 1370 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सात ताल कुमाऊं क्षेत्र का सबसे रमणीक स्थान है
यह स्थान सात झीलों के समूह के रूप में है , जिनमे से कुछ झीलें अब विलुप्त हो चुकी हैं
इस स्थान की तुलना इंग्लैंड के वेस्टमोरलैंड से की जाती है
सातताल पहुचने पर सबसे पहली झील नलदमयंती ताल के रूप में मिलती है नलदमयन्ति ताल अश्वखुर के समान पांच कोनो वाला ताल है
नलदमयन्ति ताल से आगे बढ़ने पर कुछ दूरी पर एक अमेरिकी मिशनरी स्टैनले जॉन्स का आश्रम स्थित है
इस आश्रम के आगे की ओर गरुड़ झील स्थित है , गरुड़ झील को पन्ना झील भी बोला जाता है
इसके पश्चात 3 झीलों का एक समूह मिलता है , जिन्हें क्रमश राम सीता और लक्ष्मण झील के नाम से जाना जाता है
इन 7 तालों या झीलों का जल बलिया नदी में गिरता है
भीमताल
नैनीताल जिले में स्थित भीमताल झील कुमाऊं क्षेत्र की सबसे बड़ी झील है।
इस झील की लंबाई 1674 मीटर है जबकि चौड़ाई 447 मीटर है।
भीमताल झील की आकृति त्रिभुजाकार है।
भीमताल झील के तट पर भीमेश्वर महादेव का मंदिर भी है।
खुर्पाताल
समुद्र सतह से 2365 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस झील की आकृति खुर के समान है, जिस वजह से इसका नाम खुर्पाताल पड़ा है
इस झील में शैवाल की 40 प्रजातियां पाई जाती है ,इन शैवालों की वजह से ये झील अपना रंग बदलती रहती है।
इसके अलावा नैनीताल जनपद नल ताल स्थित है इसे कमल ताल भी कहा जाता है।
नल ताल के अलावा सूखाताल , सड़ीया ताल ‘, लुखमा ताल , हरीश ताल झीलें नैनीताल जनपद में स्थित हैं।
नैनीताल जिले के प्रमुख स्थल
भवाली
नैनीताल जनपद में स्थित भवाली चीड़ और बांस के पेड़ों के बीच में और पहाड़ों की तलहटी में 1680 मीटर की ऊँचाई में बसा हुआ एक छोटा सा नगर है।
भुवाली नगर क्षिप्रा नदी के तट पर बसा हुआ है और पर्वतीय फलों के बाजार के लिए प्रसिद्ध है।
वर्ष 1912 में भुवाली में टी बी सैनोटोरियम की स्थापना की गई थी।
न्यायिक व विधि अकादमी भी नैनीताल जिले के भवाली में स्थित है।
भुवाली के पास ही लल्ली की छतरी नाम से पर्यटक स्थल भी है।
काठगोदाम
गौला नदी के तट पर स्थित काठगोदाम को ” कुमाऊं का प्रवेश द्वार “ के नाम से जाना जाता है।
काठगोदाम रेलवे स्टेशन कि स्थापन 1884 में की गई।
यह रेलवे स्टेशन उत्तर भारत का प्रमुख अंतिम रेलवे टर्मिनल जहां से विभिन्न शहरों के लिए ट्रेन चलती है।
काठगोदाम नगर को बमोरी घाट अथवा बाड़ाखेड़ी भी कहा जाता है।
इसके पास में ही प्रसिद्ध रानीबाग पर्यटक स्थल है, जहां पर प्रसिद्ध जियारानी का मेला लगता है।
हल्द्वानी
गौला नदी के तट पर स्थित हल्द्वानी उत्तराखंड राज्य का सबसे बड़ा व्यपारिक नगर है।
हल्द्वानी का पुराना नाम बमोरी है।
इस स्थान पर होने वाले हल्दू पेड़ों की अधिकता के कारण ही इसका नाम हल्द्वानी पड़ा था।
आधुनिक रूप से हल्द्वानी के निर्माण का श्रेय विलियम ट्रेल को दिया जाता है , हल्द्वानी में ही ट्रेल ने अपने लिए एक बंगला बनाया जाता है जिसे ” खाम का बंगला ” कहा जाता है।
1 सितंबर 1966 को हल्द्वानी को नागरपालिका घोषित किया गया था।
2011 में हल्द्वानी को नगर निगम बना दिया गया।
आर्यसमाज भवन ( 1901) तथा सनातन धर्म सभा (1902) का निर्माण हल्द्वानी में ही किया गया था।
इसके अलावा नाहन पर्वत श्रेणियां हल्द्वानी में स्थित है , और डाकू सुल्ताना कुआं भी हल्द्वानी में ही स्थित है
हल्द्वानी के प्रमुख संस्थान
हल्द्वानी में कई प्रमुख संस्थान भी स्थित है
राज्य के प्रथम दुग्ध डेरी संघ की स्थापना हल्द्वानी में 1949 में की गई थी।
फारेस्ट ट्रेनिंग स्कूल हल्द्वानी मैं ही स्थित है।
स्टेट कैंसर इंस्टिट्यूट हल्द्वानी में स्थित है।
वन व पंचायत प्रक्षिक्षण अकादमी हल्द्वानी मैं है
हल्द्वानी के गौलापार में देश का पहला कार्बन न्यूट्रल ज़ू
बनाया जा रहा है।
हाल ही में देश का पहला परागण पार्क हल्द्वानी में ही खोला गया है
रामनगर
रामनगर बनाने का श्रेय कमिशनर रैम्जे को दिया जाता है।
1850 में इस नगर को बसाया गया था।
प्रसिद्ध जिम कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान रामनगर में स्थित है
ढिकुली जिम कॉर्बेट का प्रवेश द्वार और कत्यूरियों की राजधानी रामनगर में ही स्थित है
प्रसिद्ध गर्जिया स्थान जहां पर गिरिजा माता का मंदिर है ,रामनगर में ही स्थित है।
उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद रामनगर में है।
रामगढ़
नैनीताल जिले में स्थित रामगढ़ को ‘फलों का कटोरा’ कहा जाता है
कुमाऊं क्षेत्र में सबसे अधिक फलों का उत्पादन भुवाली – रामगढ़ के आसपास के क्षेत्रों में होता है
सबसे पहले पकने वाला फल ग्रीन स्वीट सेब है और सबसे बाद में पकने वाला फल हरा पिछौला सेब होता है।
इसके अलावा इस क्षेत्र में डिलिशियस, गोल्डन किंग, फैनी और जोनाथन जाति के श्रेष्ठ वर्ग के सेब भी होते हैं।
मुख्य रूप से रामगढ़ क्षेत्र का सर्वोत्तम फल आड़ू है जिसकी तोतापरी और हिल्सअर्ली प्रजातियां यहां पर उगाई जाती हैं
रामगढ़ के संस्थान
रामगढ़ में महादेवी वर्मा संग्रहालय स्थित है
टैगौर टॉप भी रामगढ़ में स्थित है यहां पर राबिंद्रनाथ टैगौर ने प्रवास किया था
रामगढ़ मैं ही नारायण स्वामी जी द्वारा स्थापित आश्रम भी
नैनीताल जिले के अन्य प्रमुख स्थलों में
ज्योलिकोट नैनीताल जनपद में है जहां पर सबसे पुराना गोल्फ कोर्स स्थित है
नैनीताल जनपद के ही कालाढूंगी क्षेत्र में जिम कॉर्बेट का मकान तथा संग्रहालय स्थित है
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