पिथौरागढ़ जिले के प्रमुख दर्रे
पिथौरागढ़ को तिब्बत से जोड़ने वाले दर्रे
- लिपूलेख-गुंजी दर्रा (Lipulekh -Gunji Pass)
- मानस्या-लम्पिया दर्रा (Mansya – Lampiya Pass)
- दारमा-नवीधुरा दर्रा (Darma – Navidhura Pass)
- लेविधुरा दर्रा (Levi. Dhura)
- ऊंटा जयंती दर्रा (Uta jatyanti Pass)
सिनला दर्रा (Sinla Pass) – यह दर्रा दारमा को व्यास घाटी से जोड़ता है
ट्रेलपास दर्रा (TraillPass ) – बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिलों को जोड़ने वाला दर्रा
इसकी खोज ट्रेल ने 1830 में की थी।
लासपा दर्रा – पिथौरागढ़ और चम्पावत को जोड़ता है
पिथौरागढ़ जिले का नदी तंत्र
काली नदी तंत्र या शारदा नदी तंत्र
- काली नदी पिथौरागढ़ जिले की नेपाल के साथ एक प्राकृतिक सीमा बनाती है।
- उत्तराखंड में बहने वाली यह राज्य की सबसे लंबी नदी है, जिसकी लंबाई लगभग 250 किलोमीटर है।
- काली नदी का उद्गम काला पानी क्षेत्र में लिपुलेख दर्रा के पास व्यास आश्रम से होता है।
- स्कंद पुराण में काली नदी को श्यामा नदी भी कहा गया है
- यह नदी पिथौरागढ़ जिले में काका गिरी पर्वत के समानांतर बहती है
- पुराणों में इस नदी के जल को अशुद्ध माना गया है
- कुठयांगति , पूर्वी धौलीगंगा , गोरी गंगा , सरयू, पूर्वी रामगंगा, लोहावती, लाधिया इसकी सहायक नदियां है
कुठियांगति काली की प्रारंभिक सहायक नदी है,
सँगचुगना , निरकुट, थूमका कुठियांगति नदी की सहायक नदियां है।
पूर्वी धौलीगंगा
- यह नदी पिथौरागढ़ जिले के खेला नामक स्थान पर काली नदी से मिलती है, गोवान खान हिमनद से निकलती है।
- पूर्वी धौलीगंगा का प्रमुख स्रोत धौली (दारमा) और लिसर नदियां है,
- यह दोनों नदिया ही आपस में मिलकर पूर्वी धौलीगंगा के रूप में परिवर्तित होती हैं
गोरी गंगा
- गोरी गंगा नदी का उद्गम स्रोत मिलम ग्लेशियर है।
- काली नदी की सहायक नदी है यह नदी जौलजीबी नामक स्थान पर काली नदी से मिलती है।
सरयू नदी
- काली नदी को सर्वाधिक जल देने वाली नदी है
- कुमाऊँ की सबसे पवित्र नदी माना जाता है
- इस नदी का उद्गम बागेश्वर (सरमूल ) से होता है
- बागेश्वर सरयू नदी और गोमती नदी के संगम पर स्थित है
- पंचेश्वर के पास काली नदी से यह मिल जाती है
पूर्वी रामगंगा
पूर्वी रामगंगा नदी का स्रोत नामिक ग्लेशियर है
लाधिया नदी
काली नदी की उत्तराखंड में अंतिम सहायक नदी है I
लाधिया नदी चंपावत के चूक में काली नदी से मिलती है I
पिथौरागढ़ जिले में बनी प्रमुख जलविद्युत परियोजानाये
धौलीगंगा परियोजना
यह परियोजना पूर्वी धौलीगंगा पर है।
यह धारचूला तहसील में है।
इस परियोजना की शुरुआत 2005 में हुई थी।
कुल क्षमता – 280 मेगा वाट
यह परियोजना “रन ऑफ रिवर तकनीक” पर आधारित है अर्थात बहते हुए पानी की परियोजना।
यह NHPC National Hydroelectric Power Corporation की परियोजना है,
यह कुमाऊं मंडल की सुरंग पर आधारित पहली परियोजना है।
अन्य परियोजनाएं :
किरमोली परियोजना
गोरी गंगा (किरमोली) (उत्तरकाशी मैं जाडगंगा ) नदी पर यह परियोजना बनी है
रशिया बगड़ परियोजना – गोरी गंगा
चुंगर चल परियोजना– काली नदी
सोनला नदी परियोजना – सोनला नदी
पिथौरागढ़ जिले के प्रमुख स्थल
मुनस्यारी
पिथौरागढ़ जिले के मुंसियारी को जोहार घाटी या क्षेत्र का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है।
मुनस्यारी का प्राचीन नाम तिकसेन है।
मुनस्यारी ऊनी वस्त्रों के लिए प्रसिद्ध है।
भारत का पहला लाइकेन कवक गार्डन मुंसियारी में ही स्थित है।
मुंसारी के पास ही खालिया टॉप नामक पर्यटक स्थल है।
मुनस्यारी से कुछ दूरी पर ही बिर्थी वाटरफॉल है।
उत्तराखंड राज्य का पहला टयूलिप गार्डन मुनस्यारी में ही बना है।
प्रमुख सुरिंग गाड झरना मुनस्यारी में है।
इसके अलावा मेसर कुंड कुल का कुंड मुनस्यारी के समीप स्थित है।
मुनस्यारी के समीप ही दक्षिण की ओर काला मुनि मंदिर भी है, कालामुनि मंदिर वर्धमान पहाड़ी पर स्थित है।
कालामुनि टॉप पर्यटक स्थल मुनस्यारी में ही है।
नैन सिंह रावत पर्वतारोहण संस्थान मुनस्यारी में ही स्थित है।
मुनस्यारी का डार्कोट गाँव पश्मीना शॉल के लिए जाना जाता है।
गंगोलीहाट
गंगोलीहाट सरयू और रामगंगा नदी के मध्य में स्थित है।
राजा सुजानदेव द्वारा गंगोलीहाट को बसाया गया था।
मानसखंड में गंगोलीहाट को शैलदेश शब्द से सम्बोधित किया गया है।
गंगोलीहाट में मनकोटी राजाओं का शासन हुआ करता था , जिसकी जानकारी हमें जहान्वी नौले के अभिलेख से प्राप्त होती है।
उत्तराखंड राज्य का हाट कालिका मंदिर महाकाली मंदिर गंगोलीहाट में स्थित है,हाट कालिका मंदिर महिषासुर मर्दिनी नाम से एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है,
इस मंदिर या शक्तिपीठ को रणभूमि के जवानों की रक्षक के रूप में जाना जाता है।
गंगोलीहाट क्षेत्र के समीप ही रावल गांव स्थित है जहां पर जहान्वी नौला स्थित है इसे गुप्त गंगा के नाम से जाना जाता
पाताल भुवनेश्वर गुफा गंगोलीहाट में ही स्थित है
यहा एक गुफा मंदिर है
यह माना जाता है कि हिंदू धर्म के 33 करोड़ देवी देवताओं का यह निवास स्थान है
इसी गुफा में 120 मीटर की गहराई पर जमीन के नीचे शिवलिंग स्थित है मान्यता के अनुसार हिंदू धर्म के माने गए चारों युगों की चारों शिलाएं भी यहां पर मौजूद है।
गंगोलीहाट में स्थित गंगोलीहाट किले का निर्माण 1789 में गोरखों द्वारा करवाया गया था।
कलशन मंदिर और मंकेश्वर मंदिर गंगोलीहाट में ही स्थित है।
डीडीहाट
डीडीहाट पिथौरागढ़ जिले के सीरा क्षेत्र में बसा हुआ है,
सीरा क्षेत्र मल राजाओं की राजधानी थी , राजा हरिमल्ल के समय सीरा क्षेत्र डोटी साम्राज्य के अधीन हो गया था
डीडीहाट डिग्टड़ नामक पहाड़ी में बसा हुआ है
डीडीहाट दो शब्दों से मिलकर बना है
जिसमे डीडी शब्द का अर्थ है “छोटी पहाड़ी ” जबकि हाट शब्द का अर्थ “बाजार ” होता है।
सिराकोट का किला डीडीहाट में स्थित है
हाट घाटी डीडीहाट में स्थित है, यहां पर चरमगाड़ व भदीगढ़ नदियां बहती हैं
मढ़ का सूर्य मंदिर और जल देवी का मंदिर पिथौरागढ़ के डीडीहाट में स्थित है
बेरीनाग वह चौकोड़ी
पिथौरागढ़ जिले में स्थित यह दोनों ही स्थान चाय बागान के लिए प्रसिद्ध है बेरीनाग के समीप ही प्रसिद्ध गरुड़ प्रपात भी है
रामेश्वर
रामेश्वर पूर्वी रामगंगा व सरयू नदी के संगम पर स्थित है।
यहॉ पर प्रसिद्ध शिव मंदिर है, जहां पर हर मकर संक्रांति के अवसर पर मेले का आयोजन किया जाता है।
छोटा कैलाश या आदि कैलाश
पिथौरागढ़ में स्थित छोटा कैलाश या आदि कैलाश मैं पार्वती ताल और प्राचीन शिव मंदिर स्थित है
नारायण आश्रम
धारचूला तहसील से उत्तर पूर्व की दिशा में यह आश्रम स्थित है
इस आश्रम को 1936 में नारायण स्वामी के द्वारा बनाया गया था।
इसको बनाने के लिए सोसा के ब्राह्मण कुशाल सिंह ने दी थी।
पिथौरागढ़ जिले के प्रमुख मंदिर
पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर
यह हिंदू धर्म के 33 करोड़ देवी देवताओं का यह निवास स्थान माना जाता है।
इसी गुफा में 120 मीटर की गहराई पर जमीन के नीचे शिवलिंग स्थित है, मान्यता के अनुसार हिंदू धर्म के माने गए चारों युगों की चारों शिलाएं भी यहां पर मौजूद है।
हाट कालिका मंदिर
हाट कालिका मंदिर महाकाली को समर्पित है,
यह मंदिर महिषासुर मर्दिनी नाम से एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है,
इस मंदिर या शक्तिपीठ को रणभूमि के जवानों की रक्षक के रूप में जाना जाता है।
कामाख्या देवी मंदिर
कामाख्या देवी का मंदिर पिथौरागढ़ जिले के गंगलीहाट तहसील में कसुली नमक स्थान पर है।
इस मंदिर का निर्माण 1972 में मदन शर्मा द्वारा किया गया था।
कामख्या देवी का मुख्या मंदिर गोवाहाटी ,असम में हैं।
जयंती मंदिर
इस मंदिर को ध्वज मंदिर भी कहा जाता है यह मंदिर पिथौरागढ़ के टोटा नोला स्थान में है
असुर चुला मंदिर
असुर चुला मंदिर मंदिर पिथौरागढ़ जिले के चोर घाटी में मडगांव की पहाड़ी पर स्थित है
छिपला केदार
छिपला केदार मंदिर पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी व धारचूला के लोगों के लिए हरिद्वार जैसा महत्व रखता है
बेरीनाग या बिनाग मन्दिर
यह मंदिर नाग देवता के लिए प्रसिद्ध है
थल केदार
थल केदार को केदारज्यूँ भी बोला जाता है ,यहां पर एक विशाल मेले का आयोजन होता है
विष्णु मंदिर
पिथौरागढ़ के कोटली में स्थित यह मंदिर कोटली का विष्णु मंदिर के नाम से जाना जाता है।
सरकार द्वारा 2019 में इस मंदिर को विश्व धरोहर घोषित किया गया था।
अन्य मंदिर
- मोस्टअमानु मंदिर – इस मंदिर में वर्षा आगमन की पूजा की जाती है।
- नकुलेश्वर ,कपिलेश्वर एवं अर्जुनेश्वर मंदिर – ये मंदिर खजुराहो शैली से निर्मित है।
- कोटगाडी मंदिर – यह मंदिर न्याय के देवी के रूप में विख्यात है।
- देवल समेत मंदिर – इसे चैतोल भी कहा जाता है।
- उल्का देवी का मंदिर
- हथकाली मंदिर
- अन्यारी मंदिर
- मल्लिकार्जुन मंदिर
- चोमू देवता का मंदिर
- जहान्वी नौला
- कपिलेश्वर मंदिर
- खोखरा देवी मंदिर
- गुरना माता मंदिर ( पाषाण देवी मंदिर )
- होकरा देवी का मंदिर
पिथौरागढ़ जिले के प्रमुख मेले
हाटकेश्वर मेला
पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट तहसील मैं शिवरात्रि के अवसर पर हाटकेश्वर मेले का आयोजन किया जाता है।
थल मेला
यहां मेला पिथौरागढ़ जिले में बैसाखी के दिन अर्थात 13 अप्रैल को लगता है।
यह एक व्यापारिक मेला है।
इस मेले की शुरुआत 13 अप्रैल 1940 को हुई थी।
कल मेले का आयोजन पूर्वी राम गंगा के तट पर किया जाता है।
इस मेले का आयोजन 4 दिनों तक किया जाता है।
जौलजीबी मेला
पिथौरागढ़ के प्रसिद्ध इस मेले का आयोजन काली और गोरी नदी के संगम पर होता है।
यह एक व्यापारिक मेला है।
प्राचीन समय में भारत तिब्बत और नेपाल के लोग यहां पर आकर व्यापार किया करते थे।
इस मेले की शुरुआत 1914 में गजेंद्र बहादुर के के द्वारा की गई थी।
प्रतिवर्ष 14 नवंबर को इस मेले का आयोजन किया जाता है।
गबला देव उत्सव ( गबला देव को भगवान गणेश का अवतार माना जाता है )
इस उत्सव का आयोजन दारमा व व्यास घाटी में किया जाता है।
इन प्रमुख मेलों के अलावा पिथौरागढ़ जिले में गंगावली उत्सव ,छलिया महोत्सव , कलानीछीना महोत्सव भी मनाया जाता है और मोस्ट मानो मेला का आयोजन भी पिथौरागढ़ जिले में ही होता है।
पिथौरागढ़ जिले की प्रमुख यात्राएं
हिलजात्रा
पिथौरागढ़ जिले में आयोजित होने वाली हिलजात्रा कृषकों तथा पशुपालकों से संबंधित है।
हिलजात्रा दो शब्दों हिल तथा जात्रा से मिलकर बना है, जिसमें हिल शब्द का अर्थ कीचड़ अथवा दलदल होता है,
इस प्रकार हिलजात्रा का पूरा अर्थ कीचड़ में खेला जाने वाला खेल है,
हिलजात्रा का आयोजन वर्षा ऋतु में धान की रोपाई के बाद किया जाता है,
इस यात्रा को नेपाल की इंदर जात्रा के समान माना जाता है,
हिलजात्रा में शामिल पात्रों द्वारा मुखौटा पहनकर अभिनय किया जाता है, इन पात्रों में सबसे प्रमुख पात्र लखिया भूत होता है
इस यात्रा में स्वांग नृत्य जिसे मुखौटा नृत्य भी कहते हैं किया जाता है
ड्योरा जात्रा
इसे देव यात्रा भी कहते हैं।
इस यात्रा में यात्री एक से डेढ़ वर्षो तक विभिन्न मंदिरों की नंगे पांव से यात्रा करते हैं।
कैलाश मानसरोवर यात्रा
कैलाश मानसरोवर यात्रा का आयोजन जून से सितंबर महीने के बीच में होता है ,
यह यात्रा 40 दिनों तक चलती है
कैलाश मानसरोवर यात्रा में यात्री कैलाश पर्वत के दर्शन के लिए जाते हैं, कैलाश पर्वत तिब्बत में स्थित है
इसी पर्वत के निकट मानसरोवर झील स्थित है,
मानसरोवर झील के समीप ही राक्षस ताल है जिससे सतलज नदी निकलती है।
इस यात्रा का आयोजन कुमाऊँ मंडल विकास निगम , भारतीय विदेश मंत्रालय और आईटीबीपी के सहयोग से होता है
कैलाश मानसरोवर यात्रा पिथौरागढ़ जिले के लिपुलेख दर्रे से होकर जाती है
इस यात्रा की शुरुआत उत्तराखंड में अल्मोड़ा से कौसानी फिर डीडीहाट होते हुए धारचूला और फिर धारचूला से आगे तवाघाट व लिपुलेख दर्रे से होते हुए तिब्बत तक होती है।
पिथौरागढ़ ( Pithoragarh ) जिले से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
- छोटा कश्मीर व सोर घाटी के नाम से पिथौरागढ़ को जाना जाता है
- पिथौरागढ़ नगर के बीच में सिमल गढ़ का किला स्थित है जिसका निर्माण गोरखा ओं के द्वारा किया गया था जिसे बाद में अंग्रेजों ने लंदन फोर्ट में बदल दिया
- सैनिक छावनी के पास ही पिथौरागढ़ में प्रसिद्ध कामाख्या देवी का मंदिर भी स्थित है
- पिथौरागढ़ के समीप एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल चंडाक है जहां पर मोस्ट मानो का प्रसिद्ध मंदिर अवस्थित है
- थल केदार पिथौरागढ़ में है जिसे केदारजयु के नाम से जाना जाता है
- प्रसिद्ध अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य पिथौरागढ़ जिले में ही स्थित है,
इसकी स्थापना 1986 में पंडित नैन सिंह रावत के द्वारा माउंटनियरी प्रशिक्षण केंद्र के रूप में मुनस्यारी में की गई थी। - विल्कीगढ़ का किला पिथौरागढ़ में है।
- हंसेश्वर मठ पिथौरागढ़ जिले में स्थित है।
- पिथौरागढ़ का चंडाक क्षेत्र मैग्नेसाइट भंडार के लिए प्रसिद्द है।
- पिथौरागढ़ के ही रालम , चंडाक और भैंसवाल क्षेत्र सीसे के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।
उत्तराखंड के प्रमुख दर्रे Uttrakhand ke pramukh Darre : Hindlogy
उत्तराखंड के प्रमुख ग्लेशियर – Uttrakhand ke pramukh Glacier
नैनीताल जिला Nainital district – झीलें व प्रमुख स्थल | Hindlogy
बागेश्वर जिला | Bageshwar jila (Bageshwar District)
Almora District | अल्मोड़ा जनपद