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थियोसोफिकल सोसायटी – THEOSOPHICAL SOCIETY

थियोसोफिकल सोसायटी



Theosophical Society

थियोसोफिकल सोसायटी

थियोसोफिकल सोसायटी की स्थापना :Theosophical Society ki Sthapana
Formation of Theosophical Society

1875 ईस्वी में न्यूयॉर्क में मैडम ब्लावत्सकी और कर्नल ऑलकाट के द्वारा थियोसोफिकल सोसायटी की स्थापना की गई।
मैडम ब्लावत्सकी एक रूसी महिला थी, तथा कर्नल ऑलकाट अमेरिकी सेना में अफसर थे।

भारत में थियोसोफिकल सोसायटी-
Theosophical Society in India-

जनवरी 1879 में थियोसोफिकल सोसाइटी के संस्थापक भारत आए,
और इसके बाद 1882 में अड्‌यार (मद्रास) में थियोसोफिकल सोसायटी का अंतर्राष्ट्रीय कार्यालय स्थापित किया गया।
1888-89 में एनी बेसेंट ( जो एक आयरिश महिला थी ) ने इंग्लैंड में थियोसोफिकल सोसायटी की सदस्यता ग्रहण की।

एनी बेसेंट और थियोसोफिकल सोसायटी-
Annie Besant and Theosophical Society

वर्ष 1893 में एनी बेसेंट ने शिकागो में आयोजित विश्व धर्म सम्मेलन में भाग लिया,
और इसके बाद वे नवंबर 1893 में भारत आई।
भारत में आने के पश्चात एनी बेसेंट ने थियोसोफिकल सोसायटी की कमान संभाली तथा पूरे भारत में इसका प्रचार प्रसार किया।

थियोसोफिकल सोसायटी-के उद्देश्य
Theosophical Society – Objectives

थियोसोफिकल सोसायटी की विचारधारा को दैव- विज्ञान विचारधारा के नाम से जाना जाता है।
थियोसोफिकल सोसायटी का प्रमुख उद्देश्य धर्म को समाज सेवा से जोड़ना और इसका मुख्य आधार बनाना था,
इसी के साथ भारतीय लोगों में (मुख्य रुप से हिंदुओं में) आत्मविश्वास को बढ़ाना भी थियोसोफिकल सोसायटी का एक लक्ष्य था।
थियोसोफिकल सोसायटी ने धार्मिक शिक्षा के चार आधारों को को माना –
1- परमेश्वर की एकता
2- विश्व में बंधुत्व की भावना
3- ईश्वर के अनेक रूप
4- प्राणियों और आत्माओं का क्रम

एनी बेसेंट का सिद्धांत भी दर्शन, धर्म और गुहा विद्या का का मिश्रण था, इनका दर्शन (philosophy) भी हिंदू और बौद्ध धर्म से सम्बन्धित था।

थियोसोफिकल सोसायटी (Theosophical Society)_ कर्म और पुनर्जन्म के सिद्धांत पर विश्वास करते थे।
समाज सुधारक कार्यों में थियोसोफिकल सोसाइटी (Theosophical Society ) ने जाति प्रथा बाल विवाह जैसी को असामाजिक प्रथाओं का विरोध किया, और समाज में विधवाओं की स्थिति को सुधारने का प्रयास भी किया,
परंतु थियोसोफिकल सोसायटी का सबसे अधिक सराहनीय कार्य भारत में नौजवानों की शिक्षा पर किया गया कार्य था।
इन्होंने भारतीय नवयुवकों की शिक्षा के लिए बहुत अधिक कार्य किया।

सेंट्रल हिंदू कॉलेज (वाराणसी) की स्थापना
Establishment of Central Hindu College (Varanasi)

एनी बेसेंट ने 1898 ईसवी में सेंट्रल हिंदू कॉलेज (वाराणसी) की स्थापना भी की।
बताते हुए चलें कि इसी सेंट्रल हिंदू कॉलेज को 1916 ईस्वी में मदन मोहन मालवीय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के रूप में विकसित किया था।

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