UDHAMSINGH NAGAR JILA
उधम सिंह नगर ( Udhamsingh Nagar )
जिले का गठन : Jile Ka Gathan,
District formation – 30 सितंबर 1995
उधम सिंह नगर जिले ( Udhamsingh Nagar Jila ) पर 1790 से 1815 तक गोरखा शासन रहा,
जिसके बाद 1814 से 1 816 तक अंग्रेजी सेना और गोरखा सेना के बीच एक युद्ध लड़ा जाता है,
उसके परिणाम स्वरूप सुगौली की संधि होती है,
इस संधि पर 2 दिसंबर 1815 में हस्ताक्षर होते हैं, तथा 4 मार्च 1816 को यह संधि अस्तित्व में आती है।
संधि के तहत प्राप्त क्षेत्र को अंग्रेजो के द्वारा 1842 में दो जिलों में विभाजित कर दिया जाता है, कुमाऊं और तराई
इस प्रकार ऊधमसिंहनगर जिले ( Udhamsingh Nagar Jila ) का तराई जिले के रूप में गठन 1842 में होता है।
1891 में नैनीताल जिले के गठन के बाद इस क्षेत्र को नैनीताल जिले में मिला दिया गया ,
बाद में आजादी के पश्चात 30 सितंबर 1995 को नैनीताल जिले से काटकर इस क्षेत्र को उधम सिंह नगर जिले के रूप में मान्यता दे दी गई
इस जिले का मुख्यालय रुद्रपुर में है
उधम सिंह नगर जिले ( Udhamsingh Nagar Jila ) का नाम जनरल डायर को गोली मारने वाले उधम सिंह के नाम पर पड़ा है,
उधम सिंह ने जनरल डायर को मार्च 1940 में लंदन में गोली मारी थी
ब्रिटिश काल में ऊधमसिंहनगर जिले को कुमाऊं सरकार भी कहा जाता था।
इसके अलावा उधमसिंह नगर जिले को गढ़ीमाल, नौ लाख माल, चौरासी कोस तल्ला देश, तराई ,डाउनलैंड आदि नामों से भी जाना जाता है
यह जिला उत्तराखंड राज्य का सर्वाधिक कृषि उत्पादन वाला जिला है
सर्वाधिक कृषि उत्पादन होने से उधम सिंह नगर जिले को उत्तराखंड का हृदय भी कहा जाता है
उधम सिंह नगर जिला, उत्तराखंड राज्य का पूर्णतया मैदानी तराई क्षेत्र वाला जिला है,
इस क्षेत्र में पाताल तोड़ कुए सर्वाधिक रूप से पाए जाते हैं
उधम सिंह नगर जिले ( Udhamsingh Nagar Jila )की भौगोलिक स्थिति
उधम सिंह नगर जिला ( Udhamsingh Nagar Jila ) उत्तराखंड राज्य के दो जिलों,
नैनीताल ( Nainital ) (उत्तरी सीमा) तथा चंपावत ( Champawat ) (पूर्वी सीमा) के साथ सीमा बनाता है।
इसके अलावा उधम सिंह नगर जिले की पश्चिमी और दक्षिणी सीमा उत्तर प्रदेश ( U.P ) के साथ लगती है।
उधम सिंह नगर जिला ( Udhamsingh Nagar Jila ) अंतर्राष्ट्रीय सीमा भी बनाता है,
इसकी अंतर्राष्ट्रीय सीमा पूर्व में नेपाल ( Nepal ) देश के साथ लगती है I
कुल क्षेत्रफल – 2542 वर्ग किलोमीटर
उधम सिंह नगर जिले ( Udhamsingh Nagar Jila ) की प्रशासनिक स्थिति
कुल जनसंख्या –16,48,902
उधमसिंहनगर राज्य का जनसंख्या की दृष्टि से तीसरा सबसे बड़ा जिला है।
दशकीय वृद्धि दर – 33.45 %
उधमसिंहनगर जिला राज्य का सर्वाधिक दशकीय वृद्धि दर वाला जिला है।
कुल साक्षरता – 73.10%
उधम सिंह नगर जिला राज्य में सबसे काम साक्षरता दर वाला जिला है
जन घनत्व – 649
जन घनत्व में उधमसिंहनगर राज्य में दूसरा सबसे ज्यादा जनघनत्व वाला जिला है।
लिंगानुपात – 920
सबसे कम लिंगानुपात में उधमसिंहनगर राज्य का दूसरा जिला है।
उधम सिंह नगर जिले में विधानसभा क्षेत्र – 9
जसपुर, काशीपुर, बाजपुर, गदरपुर,
रुद्रपुर, किच्छा, सितारगंज, नानकमत्ता, खटीमा।
तहसीलों की संख्या – 8
बाजपुर, गदरपुर, काशीपुर, जसपुर ,सितारगंज , खटीमा, किच्छा, रुद्रपुर
नगर निगम – 2
काशीपुर, रुद्रपुर
विकासखंड – 7
जसपुर ,सितारगंज , खटीमा, रुद्रपुर, बाजपुर, गदरपुर, काशीपुर
उधम सिंह नगर जिले के प्रमुख स्थान
काशीपुर ( Kashipur )
काशीपुर जिले के स्थापना के संबंध में अलग-अलग जानकारियां उपलब्ध है।
- कुमाऊं के इतिहासकार बद्री दत्त पांडे के अनुसार काशीपुर की स्थापना 1639 में हुई थी।
- अलेक्जेंडर कनिंघम के अनुसार काशीपुर की स्थापना 1718 में देवी चंद के एक अधिकारी काशीनाथ के द्वारा की गई थी,
देवी चंद के द्वारा ही तराई क्षेत्र के मुख्यालय को रुद्रपुर से काशीपुर स्थानांतरित किया गया था, - बाद में चंद राजाओं के ही एक अधिकारी नंदराम ने 1777 में खुद को काशीपुर का स्वतंत्र राजा घोषित कर दिया था।
- इसके बाद 1801 में काशीपुर के राजा शिवलाल ने काशीपुर राज्य को अंग्रेजों को सौंप दिया
- काशीपुर का पुराना नाम “गोविषण” है,हर्षवर्धन के समय क्षेत्र को इसी नाम से जाना जाता था।
गोविषण का शाब्दिक अर्थ गाय का सींग होता है। - चंद के काल में इस क्षेत्र को “कोटा” के नाम से जाना जाता था
- काशीपुर क्षेत्र ढेला नदी के तट पर बसा हुआ है
- पांडवों के द्वारा बताया गया द्रोणसागर काशीपुर में ही स्थित है।
द्रोणसागर के पास ही उज्जैन का किला है, - काशीपुर को उज्जैनी नगरी भी कहा जाता है।
- साल 2013 में काशीपुर को नगर निगम बनाया गया।
- राज्य की सबसे पुरानी सूती मिल काशीपुर में ही स्थित है,
- काशीपुर में ही Indian Institute of Management ( I. I. M ) स्थित है।
इसकी स्थापना अप्रैल 2011 में की गई थी यह देश का तेरहवां Management Institute है। - गिरीसरोवर काशीपुर में स्थित है।
- प्रसिद्ध ज्वालपा देवी ( उज्जैनी देवी, बाला सुंदरी) का मंदिर भी यहीं पर स्थित है।
- हस्तकला व हथकरघा के लिए क्राफ्ट डिजाइन केंद्र भी काशीपुर में ही स्थित है।
- खोखरे का टीला, काशीपुर में स्थित है I
बाजपुर ( Bajpur )
- बाज बहादुर चंद ने बाजपुर नगर को बसाया था।
- बाजपुर उधमसिंह नगर जिले में धूमा नदी के तट पर स्थित है।
- बाजपुर का प्राचीन नाम मुंडिया है।
- 1959 में देश की पहली सहकारी चीनी मिल बाजपुर में ही खोली गई थी।
- बाजपुर के गूलरभोज में हरीपुरा जलाशय स्थित है।
जसपुर ( Jaspur )
- जसपुर का पुराना नाम शाह जफर है।
- चंद्रवंशी के ही एक राज्य मंत्री के द्वारा ( जिसका नाम यशोधर था ) इस क्षेत्र का नाम जसपुर रखा गया।
- जसपुर में स्थित जसपुर गांव यशोधर जोशी नाम के व्यक्ति ने बसाया था।
- कीर्ति चंद ने जसपुर में किले का निर्माण करवाया और उसे कीर्ति नगर नाम दिया।
- टाउन एरिया कमेटी की स्थापना जसपुर में 1850 में की गई थी।
रुद्रपुर ( Rudrapur )
- चंद शासक रूद्र चंद के द्वारा रुद्रपुर नगर की स्थापना करी गई थी,
रूद्र चंद्र ने रुद्रपुर में एक सैन्य शिविर की स्थापना की थी - चंद वंश के समय रुद्रपुर को बोक्साड के नाम से जाना जाता था
- चंद शासन के समय चंद राजाओं और रोहिल्लाओं के मध्य युद्ध की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए दीपचंद ने रुद्रपुर में एक किले का निर्माण करवाया था।
- 1790 में अल्मोड़ा में चंद शासन के पतन के पश्चात काशीपुर के अधिकारी नंदराम ने रुद्रपुर क्षेत्र को अवध के नवाब को सौंप दिया था।
1837 में रुद्रपुर को रूहेलखंड में शामिल कर दिया गया।
इसके बाद 1891 में तराई जनपद को खत्म कर रुद्रपुर को नैनीताल जिले में शामिल कर दिया गया।
बाद में उधम सिंह नगर जिला बनने के बाद रुद्रपुर उधम सिंह नगर में शामिल हो गया - रुद्रपुर नगर कल्याणी नदी के तट पर स्थित है।
- 2013 में रुद्रपुर को नगर निगम का दर्जा दिया गया।
- जनसंख्या के आधार पर कुमाऊं क्षेत्र का रुद्रपुर दूसरा सबसे बड़ा नगर है।
- रुद्रपुर में रेल सेवा का प्रारंभ 1886 में हुआ था।
- उत्तराखंड राज्य का ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान रुद्रपुर में ही स्थित है।
पंतनगर शहर ( Pantnagar City )
- पंतनगर शहर का नाम गोविंद बल्लभ पंत के नाम पर पड़ा है।
- भारत का पहला कृषि विश्वविद्यालय यहीं पर स्थित है, जिसकी स्थापना 17 नवंबर 1960 में की गई।
इसका उद्घाटन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरु के द्वारा किया गया था।
इस विश्वविद्यालय को संयुक्त राज्य अमेरिका के सहयोग से बनाया गया था।
1972 में भारत रत्न गोविंद बल्लभ पंत के नाम पर इस विश्वविद्यालय का नाम गोविंद बल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय कर दिया गया। - कृषि विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति एंथोनी पार्कर स्टीवेंसन थे,देश में हरित क्रांति लाने का श्रेय पंतनगर विश्वविद्यालय को भी दिया जाता है
उधम सिंह नगर ( Udhamsingh nagar ) जिले के प्रसिद्ध मंदिर
बाला सुंदरी मंदिर ( Balsundari mandir )
बाला सुंदरी मंदिर को चैती देवी का मंदिर भी कहा जाता है यह मंदिर उधम सिंह नगर जिले के काशीपुर में स्थित है।
चैती देवी के अलावा बाला सुंदरी मंदिर को ज्वाला देवी व उज्जैनी देवी के नाम से भी जाना जाता है।
बाला सुंदरी चंद वंश के राजाओं की कुलदेवी थी,
इस मंदिर के परिसर में चैती मेला लगता है जिसमें बुक्सा जनजाति के लोग बड़ी संख्या में भाग लेते हैं।
अटरिया देवी मंदिर ( Atariya Devi mandir )
यह मंदिर उधम सिंह नगर जिले के रुद्रपुर में स्थित है।
नानकमत्ता साहिब ( Nanakmatta Sahib )
उधम सिंह नगर जिले में ही सिक्खों का पवित्र तीर्थ स्थल नानकमत्ता साहिब स्थित है।
इन मंदिरों के अलावा उधम सिंह नगर जिले में,
मोटेश्वर महादेव या भीमाशंकर महादेव का मंदिर भी स्थित है, जो कि काशीपुर में है इसके अलावा काशीपुर में ही चामुंडा देवी का मंदिर भी स्थित है।
प्रसिद्ध पंच मंदिर जिसे 5 मंदिर भी कहा जाता है उधम सिंह नगर जिले के रुद्रपुर में ही स्थित है।
उधम सिंह नगर जिले के प्रमुख मेले
चैती मेला ( Chaiti Mela )
चैत के महीने में लगने वाला यह मेला काशीपुर के बाला सुंदरी मंदिर के प्रांगण में लगता है,
जिसने बुक्सा जनजाति के लोगों के द्वारा पर चढ़कर भाग लिया जाता है,
बालासुंदरी देवी मंदिर संबंध शाक्त संप्रदाय से हैं।
यह मेला चैत्र मास की अष्टमी में 15 दिनों तक लगता है।
प्राचीन समय में इस मेले में घोड़ों का क्रय विक्रय होता था।
अटरिया मेला ( Atariya Mela )
यह मेला उधम सिंह नगर जिले के रुद्रपुर में स्थित अटरिया देवी मंदिर में नवरात्रि के समय लगता है।
उधम सिंह नगर जिले की जल विद्युत परियोजनाएं
लोहियाहेड परियोजना ( Lohiyahed Pariyojana )
यहां परियोजना शारदा नदी पर खटीमा के पास स्थित है,
इस परियोजना की क्षमता 41.4 megawatt है।
हरीपुरा डैम ( Haripura Dam )
यह डैम उधम सिंह नगर जिले में ही बनाया गया है इसका निर्माण 1975 में किया गया था
बिगुल डैम ( Bigul Dam )
उधम सिंह नगर जिले में सितारगंज में बेगुल व सुखली नदियों पर बनाया गया है यह बांध 1968 में बनकर तैयार हुआ
बौर डैम ( Bor Dam )
उधम सिंह नगर जिले के किच्छा में बौर डैम स्थित है
धोरा बांध ( Dhora Dam )
यह बांध किस नदी पर बनाया गया है जोकि बनकर 1960 में पूरा हुआ
तुमड़िया बांध ( Tumariya Dam )
यह बांध काशीपुर के फीका नदी पर बना है
इस बाँध का निर्माण 1961 में शुरू हुआ और 1970 में यहां बनने के पश्चात चालू हुआ
नानक सागर बांध ( Nanak Sagar Dam )
इस बांध की शुरुआत 1962 मैं हुई, यह बांध नंधौर नदी पर बना हुआ है।
उधम सिंह नगर जिले के अन्य महत्वपूर्ण बिंदु
- उधम सिंह नगर जिले में स्थित खटीमा का पुराना नाम मकरपुर है।
- औषधि एवं सुगंधित पौध संस्थान (सीमैप ) उधम सिंह नगर जिले के पद नगर में स्थित है।
- औषधीय विश्लेषण प्रयोगशाला उधम सिंह नगर जिले में स्थित है।
- गन्ना विकास संस्थान उधम सिंह नगर जिले के काशीपुर में स्थित है,
- उधम सिंह नगर जिला राज्य में गन्ना उत्पादन में प्रथम स्थान रखता है।
- राष्ट्रीय उद्योग विकास संस्थान, उधम सिंह नगर जिले में स्थित है।
- दूध वाला कुआं उधम सिंह नगर जिले में स्थित है।
- उधम सिंह नगर जिले में स्थित किच्छा का पुराना नाम बिलारी या किल पूरी है।
- राष्ट्रीय लघु उद्योग विकास निगम उधम सिंह नगर में स्थित है।
- कृषक संसाधन विकास संस्थान उधम सिंह नगर जिले के किच्छा में स्थित है।
- राज्य की अधिकांश पेपर मिलों का क्लस्टर काशीपुर में स्थित है।
- संपूर्णानंद खुली जेल सितारगंज उधम सिंह नगर में स्थित है।
- प्रसिद्द कवी गुमानी पंत का जन्म 10 मार्च , 1790 को उधमसिंहनगर जिले के काशीपुर में ही हुआ था।
पिथौरागढ़ जिला : Pithoragarh District : Hindlogy
उत्तराखंड के प्रमुख दर्रे Uttrakhand ke pramukh Darre : Hindlogy