विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC)
University Grants Commission
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग university grant commission जिसे हम UGC के नाम से भी जानते हैं, इसके गठन की शुरुआत भारत मे स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व ही हो गयी थी।
1944 में अंग्रजी शासन के दौरान विश्वविद्यालयों के स्तर एवं गुणवत्ता में सुधार लाने और सभी विश्वविद्यालयों में एकरूपता लाने हेतु सार्जेन्ट योजना का निर्माण किया गया।
इस सार्जेंट योजना के द्वारा उच्च शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए विश्वविद्यालय अनुदान समिति (UGC) के निर्माण के सुझाव को सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) का गठन
Constitution of University Grants Commission (UGC)
सर्वप्रथम विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को एक समिति के रूप में चुना गया था और 1946 में सरकार द्वारा विश्वविद्यालय अनुदान समिति का गठन किया गया था ।
बाद में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 1953 में इसे समिति से हटाकर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के रूप में परिवर्तित कर दिया गया।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का संगठन
Organization of University Grants Commission
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के संगठन में एक अध्यक्ष ,एक उपाध्यक्ष और 10 अन्य सदस्य शामिल होते है।
इन 10 सदस्यों में कृषि,उद्योग,कानून एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र से जुड़े सदस्यों को सम्मिलित किया जाता हैं।
वर्तमान में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के चेयरमैन श्री डी. पी सिंह हैं।
24 अगस्त 2020 को इन्हें इस आयोग के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है जबकि उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों का कार्यकाल केवल 3 वर्षों तक ही होता है।
संसद द्वारा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को साल 1956 में संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया और इस आयोग को भारतीय शिक्षा के अभिन्न अंग के रूप में मान्यता मिली
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के कार्य
University Grants Commission Functions
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यू०जी०सी) के अंतर्गत देश के सभी विश्वविद्यालय आते हैं और इन सभी विश्वविद्यालयों के सही तरीके से संचालन के लिए नीतियों और नियमो को बनाने की जिम्मेदारी इस आयोग की ही होती है
विश्वविद्यालय के कार्य निम्नलिखित हैं
1- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का कार्य विश्वविद्यालय निर्माण करने की अनुमति देना एवं विश्वविद्यालयों को मान्यता प्रदान करना है।
2- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नए विश्वविद्यालयों के निर्माण के लिए क्षेत्रीय और प्रांतीय सरकारों को सुझाव भी प्रदान करता हैं।
3- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग विश्वविद्यालयों का निरीक्षण करता है और उचित स्रोतों एवं जानकारियों को एकत्रित करके विश्वविद्यालय की शैक्षिक गुणवत्ता एवं समानता बनी रहे इस सम्बन्ध में यह आयोग सरकार को उचित परामर्श देता है
4-विश्वविद्यालय अनुदान आयोग समय-समय पर सामाजिक आवश्यकताओं का अध्ययन करते हुए पाठ्यक्रम में संशोधन करने का काम करता है और बदलते सामाजिक परिवेश को देखते हुए यह मूल्यांकन करने की नवीन पद्धति को भी अपनाने का कार्य कराया हैं।
5- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग उन छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करता है ,जो विदेशों में रिसर्च कार्यक्रमों द्वारा जाते है इसके अलावा रिसर्च से संबंधित सामग्री एवं नीतियों के निर्माण का कार्य भी इसी आयोग के द्वारा किया जाता हैं।
6- उच्च शिक्षा के शिक्षकों कीयोग्यता,परीक्षा,पाठ्यक्रम, वेतन एवं अन्य नीति-नियमों का निर्धारण भी इसी के द्वारा दिया जाता है और इनके संबंध में अध्ययन कर उचित संशोधन करने हेतु सरकार को सलाह एवं परामर्श देने का कार्य भी इसी के द्वारा किया जाता हैं।
7- शिक्षकों की पदोन्नति करना,शिक्षकों का एक जगह से दूसरी जगह स्थानांतरण करना यह कार्य भी आयोग के द्वारा ही किया जाता है।
8- शिक्षको की शिक्षा हेतु नवीन पाठ्यक्रम का निर्धारण करना, शिक्षक शिक्षा में नवीन संशोधन करना एवं शिक्षक बनने हेतु आवश्यक न्यूनतम योग्यताओं का निर्धारण कर उसे लागू करना।
9- आयोग आवश्यकतानुसार विश्वविद्यालयों में कार्यक्रम और समारोह का आयोजन करते रहता है जिससे लोग उच्च शिक्षा की आवश्यकताओं को समझ सकें और विश्वविद्यालयी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो सकें।
10- यह राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (National Eligibility Test) हेतु योजनाओं के निर्माण के साथ-साथ न्यूनतम योग्यताओं एवं परीक्षा कार्यक्रमों का आयोजन करता हैं।