वायुमंडलीय दाब
( Atmospheric Pressure )
VAYUDAB : वायुदाब
वायुदाब (Vayudab) क्या होता है : Vayudab Kya Hota Hai ?
What is air pressure?
पृथ्वी का वायुमंडल पृथ्वी को चारों और से एक कम्बल की तरह लपेटे हुए है,
वायुमंडल में उपस्थित वायु का अपना भार होता है, इसी भार के कारण वायु का दबाव हमारे शरीर पर पड़ता है।
इसी दबाव को आसान शब्दो में वायुमंडलीय दाब कहते हैं।
परन्तु वायुमंडल में उपस्थित वायु के भार व दबाव का अनुभव हमें नहीं होता, क्योंकि जितना दबाव बाहर की वायु का हमारे शरीर पर पड़ता है ,उतना ही दबाव हमारे शरीर के अंदर की वायु भी बाहर की ओर डालती है।
दाब क्या होता है Daab Kya Hota Hai ?
What is the pressure ;
दाब – किसी वस्तु के इकाई क्षेत्रफल पर लगने वाले बल को दाब कहते हैं।
वायुदाब किसे कहते हैं Vayudab kise kahte hain ?
What is air pressure ?
पृथ्वी की एक निश्चित इकाई या एकांक क्षेत्रफल पर वायुमंडल की सभी परतों द्वारा जो बल लगाया जाता है, वायुदाब कहलाता है।
वायुदाब (Vayudab) का मापन
Measurement of air pressure
वायुदाब को बैरोमीटर से नापा जाता है
इसकी इकाई मिलिबार होती है, जिसे “mb” से व्यक्त किया जाता है।
- किसी स्थान विशेष के इकाई वर्ग सेंटीमीटर क्षेत्रफल पर लगने वाले लगभग 1 ग्राम बल को 1 मिलिबार कहते हैं।
- समुद्रतल पर 1000 मिलीबार वायुदाब का भार 1.053 किग्रा प्रति वर्ग सेंटीमीटर होता है।
- समुद्रतल पर औसत वायुमंडलीय दाब 1013.25 मिलिबार होता है।
वायुदाब (vayudab) का अंतर्राष्ट्रीय मानक ” पास्कल “ है।
1 पास्कल = 1 N force / वर्ग मीटर
वायुदाब का मापन क्यों आवश्यक है ?
Why is air pressure measurement necessary?
किसी स्थान विशेष में बैरोमीटर के पठन में यदि तेजी से गिरावट हो रही हो.
तो इसका मतलब है की उस स्थान पर तूफ़ान आने के संकेत है।
विभिन्न मौसमी परिस्थितियों जैसे तूफ़ान , आंधी आदि की जानकारी पहले से प्राप्त हो जाने से नुकसान को कम किया जा सकता है।
वायुमंडलीय दाब का वितरण
Distribution of atmospheric pressure
दाब का यह वितरण पृथ्वी के धरातल और वायुमंडल पर हर जगह एक सामान नही रहता है। इस प्रकार वायुदाब (vayudab) क्षैतिज (Horizontal) और ऊर्ध्वाधर (Vertical) दोनों ही दिशाओं में अलग – अलग प्रकार से वितरित होता है।
वायुमंडलीय दाब का ऊर्ध्वाधर वितरण
Vertical distribution of atmospheric pressure
वायु अनेक गैसों का मिश्रण है , और इसे संपीडित (दबाने ) पर इसका घनत्व अधिक हो जाता है,
अधिक घनत्व वाली इस वायु का दाब भी अधिक होता है।
वायुमंडल में उपस्थित नीचे की वायु पर उसके ऊपर की वायु जब दबाव डालती है, तो नीचे की वायु का घनत्व बढ़ जाता है
परिणामस्वरुप वायुमंडल में निचली परतों का घनत्व अधिक और ऊपरी परतों का घनत्व कम होता है।
इसी वजह से वायुमंडल में ऊंचाई की और बढ़ने पर वायुमंडलीय दाब भी घटता जाता है।
वायुमंडलीय दाब के ऊर्ध्वाधर रूप से इस प्रकार वितरण को, वायुमंडलीय दाब का ऊर्ध्वाधर वितरण ( Vertical Distribution ) कहते हैं।
परन्तु वायुमंडलीय दाब ऊंचाई बढ़ने के साथ – साथ एक समान दर से कम नहीं होता ऊंचाई के साथ- साथ कई अन्य कारको का भी इस दर पर प्रभाव पड़ता है।ये कारक है तापमान , जलवाष्प की मात्रा , और गुरुत्वाकर्षण।
वायुमंडल में इन कारको का अलग -अलग उंचाईओं पर अलग प्रभाव रहता है, जिस वजह से ये कारक दाब की दर पर प्रभाव डालते रहते हैं।
सामान्य स्थिति में 300 मीटर की ऊंचाई पर दाब में 34 मिलिबार की कमी हो जाती है
इसलिए मैदानों में रहने वालों की अपेक्षा पहाड़ो पर रहने वालो को काम वायुदाब का अनुभव जयादा होता है।
- ऊँचे क्षेत्रों में भोजन को पकने में ज्यादा समय लगता है, क्यूंकि निम्न वायुदाब के कारण जल का क्वथनांक (उबलने का बिंदु ) घाट जाता है।
- इसके अलावा पहाड़ चढ़ने में निम्न वायुदाब के कारण ऑक्सीजन की कमी होने से साँस लेने में तकलीफ होती है
वायुदाब (vayudab) का क्षैतिज वितरण
Horizontal distribution of air pressure
वायुमंडलीय दाब का सम्पूर्ण पृथ्वी के धरातल पर वितरण वायुदाब का क्षैतिज वितरण कहलाता है
पृथ्वी पर समान दाब वाले क्षेत्रों को मानचित्र पर समदाब रेखाओ से दिखाया जाता है
वायुमंडलीय दाब के क्षैतिज वितरण को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक
1 – तापमान
2 – घूर्णन
3 –जलवाष्प की मात्रा
1 – तापमान –
पृथ्वी पर कम वायुदाब (vayudab) वाले स्थानों पर तापमान अधिक होता है, जबकि जय वायुदाब वाले स्थानों पर तापमान की कमी होती है।
इसलिए ध्रुवीय क्षत्रो पर वायुदाब अधिक होता है परन्तु भूमध्य क्षेत्रीय भागों में वायुदाब कम रहता है।
2 – घूर्णन –
पृथ्वी के घूर्णन के कारण वायु अपने मार्ग से विक्षेपित होकर किसी एक विशेष स्थान पर इकठ्ठा हो जाती है जिससे उस स्थान पर वायु का घनत्व बढ़ जाता है और उस स्थान पर वायुदाब की मात्रा बढ़ जाती है।
3 -जलवाष्प की मात्रा –
वायु में जलवाष्प की मात्रा अधिक होने से वायु दाब काम हो जाता है जबकि जलवाष्प की मात्रा काम होने से वायुदाब बढ़ जाता हैं
इसी वजह ठंडो में महाद्वीपीय भाग महासागरीय से अधिक ठंडे रहने से उच्च वायुदाब के केंद्र रहते है।
जबकि इसके विपरीत गर्मिओं में महाद्वीपीय भाग महासागरीय से अधिक गर्म रहते है और निम्न वायुदाब का केंद्र रहते हैं
वायुदाब (vayudab) पेटियां (Vayudab Petiyan)
पृथ्वी पर भिन्न भिन्न अक्षांशों में वायुदाब (vayudab) के वितरण को वायुदाब पेटियों से दिखाया जाता है। सम्पूर्ण पृथ्वी की मुख्य रूप से चार वायुदाब पेटियों में बांटा गया है।
1 -भूमध्यरेखीय निम्न वायुदाब पेटियां
2 -उपोष्ण उच्च वायिदाब पेटियां
3 –उपध्रुवीय निम्न वायुदाब पेटियां
4 –ध्रुवीय उच्च वायुदाब पेटिया
भूमध्यरेखीय निम्न वायुदाब (vayudab) पेटियां
Equatorial Low-Pressure Belts
- यह पेटी भूमध्य रेखा से 5° उत्तरी अक्षांश से 5° दक्षिण दक्षिणी अक्षांश में फैली है ।
- यह एक तापजन्य पेटी है।
- भूमध्य रेखा पर वर्ष भर सूर्य की किरणे लंबवत पड़ती हैं, इस वजह से यहाँ पर हमेशा उच्च तापमान बना रहता है।
उच्च तापमान के बने रहने से इस स्थान की हवा हलकी होकर ऊपर की ओर उठने लगती है जिससे इस क्षेत्र में संवहनीय धाराओ का निर्माण होता है। - क्षैतिज पवनों के अभाव के कारण यह डोलड्रम का क्षेत्र कहलाता है।
इस क्षेत्र को ITCZ ( Inter Tropic Convergance Zone ) इंटर ट्रोपिक कोन्वेर्जेंस जोन भी कहते हैं
उपोष्ण उच्च वायिदाब (vayudab) पेटियां
Subtropical High-Pressure Belts
- इस पेटी का विस्तार 30 -35 उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों के बीच है ।
- इस पेटी में उच्च वायुदाब की स्थिति तापमान के कारन न होकर पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण बनती है।
- उपध्रुवीय निम्न वायुदाब पेटियों तथा भूमध्य रेखा में बहने वाले वायु पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण विक्षेपित होकर इस स्थान पर आकर इकठ्ठा हो जाती हैं,
जिससे यहाँ पर वायु का घनत्व बढ़ जाता है और उच्च वायुदाब की स्थिति बन जाती है। - अतः ये पेटियां तापजन्य ( thermogenic ) न होकर गतिजन्य ( kinetic ) होती है।
- अश्व अक्षांश ( HORSE LATITUDE ) इन्ही पेटियों में पाए जाते हैं।
अश्व अक्षांश ( HORSE LATITUDE ) –प्राचीन समय में जब घोड़े से लदे हुए, पाल से चलने वाले जलयान इस पेटी के क्षेत्र में प्रवेश करते थे,
तो शांत और अनिश्चित दिशा वाली पवनों के कारण इन जलयानों को आगे बढ़ने में कठिनाइयाँ होती थीं और जलयान को हल्का करने के लिए कुछ घोड़ों (अश्वों) को सागर में फेंकना पड़ता था।
इसी वजह से इस पेटी को ‘अश्व अक्षांश’ कहा जाने लगा।
उपध्रुवीय निम्न वायुदाब (vayudab) पेटियां
Circum-Polar Low-Pressure Belts
- 60-65 उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशो के बीच का क्षेत्र उपध्रुवीय निम्न वायुदाब पति कहलाता है ।
- पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण यहाँ से वायु बाहर की ओर फैलकर स्थानान्तरित हो जाती अतः वायु वायुदाब कम हो जाता है।
- इस पेटी में भी वायुदाब तापजन्य न होकर गतिजन्य होता है
ध्रुवीय उच्च वायुदाब (vayudab) पेटिया
Polar High-Pressure Areas
- ध्रुवीय उच्च वायुदाब पेटी 65-90 उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशो के बीच स्थित क्षेत्र को कहते है ।
- यहाँ पर तापमान में अत्यधिक कमी होने के कारण यहाँ पर उच्च वायुदाब की स्थिति बन जाती है।
- अतः यहाँ पर वायुदाब की स्थिति तापजन्य होती है
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