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प्रार्थना समाज

प्रार्थना समाज
Prarthana society



1867 ईस्वी में आत्माराम पांडुरंग द्वारा बम्बई में प्रार्थना समाज की स्थापना की गई।
Note- प्रार्थना समाज की स्थापना की प्रेरणा आत्माराम पांडुरंग को केशव चंद्र सेन से मिली।

प्रार्थना समाज का प्रचार -प्रसार (Propagation of society)

समाज के प्रचार – प्रसार का श्रेय मुख्य रूप से महादेव गोविंद रानाडे को दिया जाता है,
जिन्होंने 1869 में प्रार्थना समाज की सदस्यता ग्रहण की।

समाज ने एकेश्वरवाद के मत को माना तथा हिंदू धर्म में फैली बुराइयों तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई।

Note – एकेश्वरवाद – एकेश्वरवाद अथवा एकदेववाद एक ऐसा सिद्धान्त है ,जो कहता है की ‘ईश्वर एक है’
एकेश्वरवाद एक ईश्वर के विचार को सर्वप्रमुख रूप में मान्यता देता है। एकेश्वरवादी एक ही ईश्वर में विश्वास करता है और केवल उसी की पूजा-उपासना करता है।

MonotheismMonotheism or monotheism is a principle that says ‘God is one’ Monotheism recognizes the idea of one God as the most prominent. The monotheist believes in one God and only worships him.

समाज ने बाल विवाह, पर्दा प्रथा, बहु विवाह तथा जाति प्रथा जैसी सामाजिक बुराइयों का भी विरोध किया, तथा महिलाओं की शिक्षा एवं विधवा विवाह को भी समर्थन दिया।

दक्कन एजुकेशनल सोसायटी की स्थापना
Establishment of Deccan Educational Society

1884 ईसवी में गोविंद रानाडे ने पुणे में दक्कन एजुकेशनल सोसायटी की स्थापना की जिससे शिक्षा का प्रचार प्रसार किया जा सके।

विडो रीमैरिज एसोसिएशन की स्थापना
Establishment of Widow Remarriage Association

1891 ईसवी में गोविंद रानाडे द्वारा ही महाराष्ट्र में विडो रीमैरिज एसोसिएशन की भी स्थापना की गई।
प्रोफेसर डी.के.करवे ने 1899 में पूना में विधवा आश्रम (विडो होम) तथा 1906 में बम्बई में प्रथम भारतीय महिला विश्वविद्यालय (इंडियन वोमेन्स यूनिवर्सिटी) की स्थापना की।

डी.के.करवे ने स्वयं 1893 में एक विधवा से विवाह किया था ।



Prarthana Samaj was established in Bombay in 1867 AD by Atmaram Pandurang.
Note: Atmaram Pandurang got inspiration from Keshav Chandra Sen to establish Prayer Samaj.

Propagation of society

The credit for propagation of the society is mainly given to Mahadev Govind Ranade,
Who joined the Society of Prayers in 1869.

The society accepted the idea of ​​monotheism and raised its voice against the evils and corruption spread in Hinduism.

Note MonotheismMonotheism or monotheism is a principle that says ‘God is one’
Monotheism recognizes the idea of ​​one God as the most prominent. The monotheist believes in one God and only worships him.

The society also opposed social evils like child marriage, purdah, polygamy and caste system, and also supported women’s education and widow marriage.


Establishment of Deccan Educational Society

In 1884, Govind Ranade founded the Deccan Educational Society in Pune to promote education.

Establishment of Widow Remarriage Association

The widow Remarriage Association was also established in Maharashtra in 1891 AD by Govind Ranade.

Professor DK Karve established the Widow Ashram (Widow Home) in Poona in 1899 and the first Indian Women’s University (Indian Women’s University) in Bombay in 1906.

DK Karve himself married a widow in 1893.

 

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